Chhath Puja 2024: महापर्व छठ सूर्य देव की उपासना को समर्पित है। छठ पूजा में डूबते और उगते सूर्य की पूजा की जाती है। छठ पूजा एकमात्र ऐसा पर्व है जिसमें न केवल उगते बल्कि डूबते सूर्य की भी पूजा करने का प्रावधान है। 7 नवंबर 2024 को छठ पूजा का पहला अर्घ्य दिया जाएगा। व्रती महिलाएं जल में खड़े होकर भगवान सूर्य देव को अर्घ्य देती हैं और अपने परिवार की समृद्धि और खुशहाली की कामना करती हैं। छठ का व्रत काफी कठिन माना जाता है, क्योंकि इसमें 36 व्रत रखने होते हैं। इसके अलावा छठ पूजा में कई कठिन नियमों का पालन भी करना होता है। आज हम जानेंगे कि छठ पूजा में डूबते सूर्य की पूजा क्यों की जाती है। आखिर इससे जुड़ी धार्मिक मान्यताएं क्या हैं, तो चलिए जानते हैं इससे जुड़ीस पूरी जानकारी।
छठ पूजा पर डूबते सूर्य को क्यों दिया जाता है अर्घ्य?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अस्त होते समय भगवान सूर्य देव अपनी पत्नी प्रत्यूषा के साथ होते हैं। ऐसे में इस समय सूर्य देव को अर्घ्य देने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो जाती हैं। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। डूबता हुआ सूरज हमें बताता है कि हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए क्योंकि रात के बाद उम्मीद भरी सुबह भी आती है। डूबते सूर्य को अर्घ्य देने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शक्ति आती है। इतना ही नहीं, व्यक्ति को सफल जीवन का आशीर्वाद भी मिलता है।
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छठ पूजा का क्या है महत्व?
छठ पूजा को प्रकृति को समर्पित त्योहार माना जाता है। छठ पूजा सामग्री में फल, सब्जियां और अन्य प्राकृतिक चीजें भी रखी जाती हैं। छठ पूजा के दिन सूर्य देव के साथ छठी मैया की भी पूजा की जाती है। कहा जाता है कि सूर्य देव की पूजा करने से सुख, समृद्धि, निरोगी काया की प्राप्ति होती है। छठी मैया की पूजा करने से संतान को लंबी आयु मिलती है और उनके जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं।
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