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Importance of Rahu in Astrology: छाया ग्रह की अपार शक्ति और जीवन पर प्रभाव

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।।राहु ग्रह।। (Rahu In Astrology)

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राहु को हमारे ऋषियों नें छाया ग्रह के रूप के माना, लेकिन शक्ति इतनी कि अच्छे खासे शिखर पर बैठे जीव को जमीन पर गिरा दे, और जमीन पर बैठे व्यक्ति को शिखर पर पंहुचा दे। अचानक से धनी बना दे और अचानक से निर्धन। राहु ग्रह, वैदिक ज्योतिष में राहु ग्रह को एक अत्यंत क्रूर एवं मायावी ग्रह की संज्ञा दी गई  है। जातक की कुंडली में राहु के अशुभ स्थान पर होने से उसे मानसिक तनाव तथा आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ता है।

यदि नौकरी मे दिक्क़त देने पर आए तो अच्छी खासी नौकरी मे व्यवधान कर दे, ससपेंशन हो जाए या टर्मिनेशन हो जाए, अच्छे खासे धनी व्यक्ति का दिवाला निकल जाए। राजनीति मे हो तो रात को व्यक्ति सोए तो मंत्री सुबह उठे तो पार्टी से ही निष्कासित हो जाए।ज़ब अशुभ हो तो नशेड़ी बना दे, षड़यंत्र मे फसा दे, महिला के चक्कर मे पड़े तो सेक्स स्कैडल करा दे। अच्छेखासे चल रहे जीवन मे परेशानी उत्पन्न कर दे राजयोग भंग कर दे।

राहु से इन सभी बातो का भी विचार किया जाता है: (All these things are also considered from Rahu)

छत्र, चवर, राज्य, संग्रह, कुतर्क, मार्मिक वाक्य, पापी स्त्री, चारो ओर से सुसज्जित यान, अधर्मी, जुआ, सट्टा, दुष्ट स्त्री गमन, दूर देशगमन, गंदगी, हड्डी,प्लीहा का रोग, झूठ, आधोदृष्टि, भ्रम, जादूटोना, मलेछ, सूजन, महान वन, विषम स्थानों मे भ्रमण, पर्वत, पीड़ा, वाहर स्थान, प्रिय, वायु, कफ रोग, सर्प, रात्रि के हवाए, तीक्ष्णता, दीर्घ रेगने वाले सर्प, सकल गुप्त वस्तुएँ,मृत्यु का समय, वृद्ध, वाहन, नागलोक, माता, पिता, अथवा नाना वायु का दर्द, खांसी, श्वाश का रोग, महानप्रताप,घोर वन, दुर्गा पूजा, दुष्टता, पशुओ से व्यभिचार, उर्दू, आदि कठोर भाषा, शनि से अधिक कष्ट, प्रेत बाधा, मूर्खता, आभाव, राहु द्वितीय, पंचम, नवम, एकादश भाव से बलवान होकर सम्बन्ध करे तो तो धन को अचानक बिना आशा के दे देता है। राहु स्नायु के भी रोग देता है

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राहु मंत्र: (Rahu Mantra)

राहु देव के बुरे प्रभावों को दूर करने और राहु का आशीर्वाद पाने के लिए आप इन मंत्रों का जाप कर सकते हैं:

सात्विक राहु मंत्र: ॥ ॐ रां राहवे नम: ॥
Satvik Rahu Mantra:॥ Om Ra Rahve Namah:॥

राहु बीज मंत्र: ॥ ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः ॥
Rahu Beej Mantra: ।। Om Bhram Bhreem Bhrom Sah Rahve Namha ।।

राहु गायत्री मन्त्र: ॥ ॐ नागध्वजाय विद्महे पद्महस्ताय धीमहि तन्नो राहुः प्रचोदयात् ॥
॥ॐ शिरोरूपाय विद्महे अमृतेशाय धीमहि तन्नो राहु: प्रचोदयात ॥
Rahu Gayatri Mantra: ॥ Om Nagadhwajaya Vidmahe Padmahastey Dhimahi Tanno Rahu Prachodayat ।।

मंत्र-
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे।
ॐ ग्लौ हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल
ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा ।।

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