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ग्रहों के अतिरिक्त अन्य गणनाओ पर भी दीजिये: गुलिक या मांदी का जन्म कुंडली के सभी 12 भाव में प्रभाव

एस्ट्रो सुमित विजयवर्गीय

क्या मैं अपने जीवन मे सफल हो पाऊंगा? क्या मैं धन के साथ साथ अच्छे स्वास्थ्य का लाभ उठा पाऊंगा? क्या मैं अच्छे स्वास्थ्य व धन के साथ साथ संतान सुख भी प्राप्त कर पाउँगा? भविष्य की गहराईयो मे डूबे हुए इन सवालों के जबाबो को पहले ही जानने की आकांक्षा हर व्यक्ति की रहती है। ज्योतिष शास्त्र ही ऐसा विज्ञान है जो इन प्रश्नों का उत्तर दे सकता है। कभी कभी ऐसा होता है कि ग्रह अपनी अच्छी स्थिति मे बैठा है परन्तु वह उस भाव से सम्बंधित पूर्ण सुख प्रदान नहीं कर पा रहा है। ऐसी स्थिति मे गुलिकादि गणना करने के पश्चात उस भाव सम्बंधित फल की पूर्ण प्राप्ति तथा उस भाव के पूर्ण फल प्राप्त होने मे आ रही रूकावट को जानकर उसके उपचार द्वारा उसमे लाभ प्राप्त किया जा सकता है। गुलिकादि ग्रहों की गणना जन्मवार आदि के अनुसार की जाती है।

गुलिक प्रत्येक भाव मे अग्रलिखित अनुसार फल देता है –

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  • जन्म लग्न मे गुलिक होने से जातक क्रूर मूढ़, विनय रहित होता है। ऐसे जातक के सिर तथा नेत्र मे विकार रहते है। ऐसा जातक क्रोध आने के कारण अपने कार्य कोई क्षति पहुँचता है।
  • गुलिक द्वितीय भाव मे होने से जातक अपने बोलचाल तथा व्यवहार के कारण अपमान प्राप्त करता है। ऐसा जातक जिन विषयो मे कुशाग्र बुद्धि की आवश्यकता होती है उन विषयो मे बाट ही नहीं कर पाता है। ऐसे व्यक्तियों का धन व्यर्थ मे खर्च होता है।
  • गुलिक तृतीय भाव मे होने से जातक के अहंकार के कारण उसकी उन्नति रुक जाती है। ऐसे जातक कोई छोटे भाई बहिनों से सुख नहीं मिलता है। परन्तु ऐसा जातक भयहीन होता है।
  • गुलिक चतुर्थ भाव मे होने से जातक धन तथा वाहन होते हुए भी उनका उपभोग न करने वाला तथा पैतृक संपत्ति को हानि पहुंचाने वाला होता है।
  • गुलिक पंचम भाव मे होने पफ जातक दुष्ट बुद्धि वाला होता है तथा ऐसे जातक का मन पढ़ाई मे नहीं लगता और वह अपराध की ओर जाता है।
  • गुलिक षष्ठ भाव मे होने से जातक अपने शत्रुओ कोई परास्त करने वाला, साहसी होता है।
  • गुलिक सप्तम भाव मे होने से जातक कलह करने वाला, पत्नी कोई पीड़ा देने वाला या पति को पीड़ा देने वाली पत्नी होती है। जातक लोक विरोधी होता है, साझेदारी मे नुकसान उठाता है। ऐसे व्यक्ति का वैवाहिक जीवन अल्प होता है।
  • गुलिक अष्ट्म भाव मे होने पर जातक रोगी व वाचाल अर्थात विना मतलब के बोलने वाला होता है।
  • गुलिक नवम भाव मे होने से जातक अल्प भाग्यशाली वाला, बहुत मेहनत करके सफलता प्राप्त करने वाला होता है।
  • गुलिक दशम भाव मे होने पर जातक अन्याय युक्त मार्गो से धन कमाता है व बुरे कार्यों मे लिप्त होता है।उच्चपद होने पर भी मान सम्मान चला जाता है।
  • गुलिक एकादश भाव मे होने पर जातक सुखी तेजस्वी, यशस्वी व अच्छे आय के साधनों से युक्त होता है।
  • गुलिक द्वादश भाव मे होने पर जातक बहुत व्यय करने वाला अनिद्रा का रोगी तथा व्यर्थ वकवास करने वाला होता है

उपचार

*महामृत्युंजय का जाप करे
*लक्ष्मी स्त्रोत का पाठ करे
*रुद्राभिषेक करे
*आदित्य हृदयस्त्रोत का पाठ करे

सुझाव:
अगर आप इस विषय में गहराई से व्यक्तिगत मार्गदर्शन चाहते हैं, तो आप किसी अनुभवी ज्योतिषी से अपनी जन्म कुंडली का विश्लेषण करवा सकते हैं। कुंडली के आधार पर ही सटीक उपाय और भविष्यवाणी की जा सकती है।

Astro sumit vijayvergiy
Mob. 9910610461,7088840810

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