Karwa Chauth 2024: करवा चौथ की पूजा में आटे से बने दीये जलाने का विशेष महत्व माना जाता है। यह सिर्फ एक अनुष्ठान ही नहीं बल्कि एक परंपरा भी है। आटा भोजन का मूल रूप है जो जीवन का आधार है, आटे से दीया बनाना रचनात्मकता और नए जीवन की शुरुआत का प्रतीक है। क्योंकि आटा बिल्कुल शुद्ध होता है। इससे बने दीये से पूजा पवित्र और शुभ होती है। करवा चौथ की पूजा में आटे से बने दीये जलाने से पति-पत्नी के बीच प्यार के साथ-साथ विश्वास भी बढ़ता है और जीवन में आने वाली समस्याओं से मुक्ति मिलती है, तो चलिए जानते हैं इससे जुड़ा पूरा मामला।
इसको लेकर माना जाता है कि आटा खाने योग्य चीजों का आधार है। यह समृद्धि और प्रचुरता का प्रतीक है। आटे से बना दीया जीवन चक्र की निरंतरता और पुनर्जन्म का प्रतीक है। अगर पति-पत्नी दोनों मिलकर दीया बनाकर जलाते हैं तो इससे उनके बीच एक अटूट बंधन बनता है। दीये की रोशनी सकारात्मक ऊर्जा का प्रतीक है जो उनके रिश्ते में प्यार और विश्वास बढ़ाती है।
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करवा चौथ का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, करवा चौथ व्रत के दिन शाम को पूजा की जाती है। इस साल करवा चौथ पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर रविवार को शाम 05:46 बजे से 07:02 बजे तक है। चंद्रोदय शाम 07.54 बजे होगा, तो चलिए जानते हैं करवा चौथ पुजा पर आटे के दीये जलाने के क्या लाभ हैं।
जीवन के सभी कष्ट दूर होते हैं
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, माना जाता है कि आटे के दीये से पूजा करने से पति की आयु बढ़ती है। कहा जाता है कि जो महिलाएं लंबी उम्र की कामना से आटे का दीया जलाती हैं, उन्हें यमराज का कष्ट नहीं सहना पड़ता। करवा चौथ पर आटे का दीया जलाने से करवा माता और अन्नपूर्णा माता प्रसन्न होती हैं। इसके अलावा आटे का दीया संकटमोचक और प्रेम भाव को बढ़ाने वाला होता है।
सारी मनोकामनाएं होती हैं पूरी
करवा चौथ के दिन सुहागिन महिला को हल्दी डालकर आटा गूंथना चाहिए और फिर उसमें घी डालकर पूजा के दौरान उसे जलाना चाहिए। करवा माता से अपनी मनोकामना करें। फिर चांद की पूजा करते हुए आटे के दीये को छलनी में रखें। फिर छलनी से चांद और पति को देखें। कर्ज से मुक्ति, शीघ्र विवाह, नौकरी, बीमारी, संतान प्राप्ति, स्वयं का मकान, पारिवारिक कलह, पति-पत्नी के बीच विवाद, संपत्ति संबंधी मामले, कोर्ट-कचहरी के मामलों में विजय के लिए आटे का दीपक जलाने का विधान है।
आटे के दीये का महत्व
करवा चौथ के दिन पत्नी अपने पति की लंबी उम्र और खुशहाली के लिए व्रत रखती है। वह दीया जलाकर अपनी भक्ति व्यक्त करती है। साथ में पूजा करने से पति-पत्नी का आत्मविश्वास बढ़ता है और वे एक-दूसरे पर अधिक भरोसा करने लगते हैं। आमतौर पर आटे के दीये में सरसों का तेल और रूई की बाती जलाई जाती है। सरसों का तेल शुद्ध माना जाता है और रूई की बाती दीये को धीरे-धीरे जलने देती है।