New Toll Collection System in India: केंद्र की मोदी सरकार बहुत जल्द टोल वसूलने के लिए नई टेक्नोलाॅजी का सहारा लेने वाली है। दरअसल, सरकार टोल टैक्स कलेक्शन में इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन सिस्टम फास्टैग (FASTag) की जगह अब जीपीएस सेटेलाइट टेक्नोलाॅजी पर काम करने की योजना बना रही है। इस नए सिस्टम में जीपीएस (Global Positioning System) सेटेलाइट टेक्नोलॉजी के आधार पर टोल टैक्स वसूला जाएगा। इसकी खास बात ये होगी कि आपसे उतना ही टोल टैक्स लिया जाएगा, जितनी दूरी आप तय करेंगे। हाइवे पर जितनी दूरी तय की जाएगी, उतनी दूरी का टोल लिया जाएगा।
एक साल के भीतर टोल प्लाजा बूथ्स को खत्म कर सकती है सरकार: नितिन गडकरी
आपको बता दें कि हाल ही में केंद्रीय सड़क एवं परविहन मंत्री नितिन गडकरी ने इसी साल मार्च में संसद के निचले सदन लोकसभा में कहा था कि सरकार एक साल के भीतर टोल प्लाजा बूथ्स को खत्म कर सकती है। उन्होंने इसके साथ ही यह भी बताया था कि बूथ्स की जगह पर जीपीएस आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम रहेगा। टोल को चलते.फिरते वाहनों पर जीपीएस इमेजिंग की मदद से कलेक्ट किया जाएगा।
कईं यूपीय देशों में पूरी से तरह से लागू है जीपीएस टोल टैक्स कलेक्शन
गौरतलब है कि जीपीएस आधारित टोल टैक्स कलेक्शन का सिस्टम फिलहाल कईं यूपीय देशों में पूरी से तरह से लागू है और उसकी सफलता को देखते हुए भारत में भी इसे लागू किया जाना है। मौजूदा नियम में टोल टैक्स की गणना के लिए हाइवे की दूरी यानी एक स्ट्रेच की दूरी देखी जाती है। यह आमतौर पर 60 किलोमीटर का होता है और उसके कम या ज्यादा होने पर टैक्स में भी उसी हिसाब से बदलाव कर दिया जाता है, लेकिन 60 किलोमीटर को मानक माना जाता है। अगर उसी सड़क पर पुल, पुलिया या ओवरब्रिज आदि पड़ जाए तो उसका टोल बदल जाता है।