मथुरा न्यूज़-वृन्दावन के पास अक्रूर गांव में यमुना खादर में अतिक्रमण हटाने गई विकास प्राधिकरण, नगर निगम और राजस्व विभाग की टीम पर एक महिला भारी पड़ गई।
खादर में बने मकानों की ध्वस्तीकरण की कार्रवाई के लिए जैसे ही महाबली आगे बढ़ा तो महिला ने ना केवल हंगामा खड़ा किया बल्कि बुल्डोजर के उपर चढ़कर विकास प्राधिकरण के अधिकारियों को खूब खरी खोटी सुनाई, जबकि पुलिस को तो इतना बुरा भला कहा कि वो अपनी नज़रें छिपाते रहे, गुस्से में तमतमाई महिला ने कहा-धिक्कार है ऐसी वर्दी पर।
एक पुरानी कहावत है कि ‘‘अंधा बाटे रेवड़ी, अपनो अपनो को दे’’ कमोबेश ऐसा ही कुछ हाल अतिक्रमण के खिलाफ़ कार्रवाई करने वाले मथुरा विकास प्राधिकरण, नगर निगम और राजस्व विभाग की टीम का है। आरोप ये है कि अवैध अतिक्रमण को हटाने के लिए प्राधिकरण पुलिस फोर्स के साथ कुछ चुनिंदा लोगो पर ही कार्रवाई करता है,
जबकि रसूखदार लोगो पर कार्रवाई करने से हाथ पीछे खींच लेता है, ऐसा ही मामला वृन्दावन अक्रूर गांव के पास यमुना खादर में सामने आया, जहां टीम ने अवैध रूप से बने मकानों पर बुल्डोजर चला दिया, जिससे वहां पर चीख पुकार मच गई। स्थानीय लोगो का कहना था कि टीम ने उनको ना तो कोई नोटिस दिया और ना ही कार्रवाई को लेकर किसी दूसरे तरह से कोई सूचना दी गई।
महिला ने ‘‘महाबली’’ पर चढ़कर किया जब हंगामा
महाबली के पंजे का शिकंजा मकानों पर कसता हुआ नज़र आया तो भीड़ में से निकलकर रेनू नाम की महिला सामने आ गई, दरअसल वो अपने दो बच्चों के साथ कहीं खाना खाने गई थी, इसी बीच टीम के आदेश पर उसके मकान बुल्डोजर चल गया। जिसके बाद गुस्से में तमतमाई महिला ने खूब हंगामा किया, वो बुल्डोजर पर चढ़ गई और पुलिस के
खिलाफ़ जहर उगलने लगी, उसने कहा कि धिक्कार है ऐसी वर्दी पर जो गरीबों पर जुल्म होते देख रही है।
दरअसल महिला का कहना था कि उसने सारी जमा पूंजी खर्च करके मकान बनवाया और अब उनको उजाड़ा जा रहा है, जिससे वो अपने बच्चों को लेकर कहां जाए, या तो उसको बच्चों सहित मार दिया जाए या फिर उसको दूसरी जगह मकान दिया जाए।
गंभीर आरोपो से घिरा है ‘‘मथुरा विकास प्राधिकरण’’
मथुरा विकास प्राधिकरण पर गरीबो को सताने और परेशान करने के यूं तो तमाम आरोप लगते रहते है, लेकिन इसके साथ ही एक कड़वी सच्चाई ये भी है कि पहले सेटिंग-गेटिंग से अवैध निर्माण कराए जाते है और फिर उसके बाद उनको ध्वस्त किया जाता है। क्योंकि यमुना खादर के पास एक नहीं दो नहीं बल्कि हज़ारों की संख्या में मकान बने हुए है,
अब सवाल यही उठता है कि ये मकान रातो रात तो बने नहीं जाहिर इनका निर्माण लंबे समय तक होता रहा, सवाल यही है कि आखिरकार उस वक्त प्रशासन कहां सोया हुआ था जब यहां पर मकानों का निर्माण हो रहा था।