Artificial Rain : दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है। हवा इतनी ज्यादा जहरीली (Delhi Pollution) हो गई है कि अब लगता है सिर्फ बारिश ही दिल्ली को बचा सकती है। लेकिन इस समय बारिश ही नहीं हो रही है। ऐसे में दिल्ली सरकार ने कृत्रिम बारिश यानी आर्टिफिशियल रेन (Artificial Rain) कराने का फैसला किया है। माना जा रहा है कि अगले दो दिन में दिल्ली सरकार इस एक्सपेरिमेंट को अंजाम देगी।
राजधानी में नकली बारिश कराने के लिए केजरीवाल सरकार को कई सारे परमिशन लेने होंगे, इसमें केंद्र सरकार भी शामिल होगी।
ये है कृत्रिम बारिश की प्रक्रिया (Process of Artificial Rain)
आपको बता दें कि कृत्रिम बारिश (Artificial Rain) करने के लिए सबसे पहले क्लाउड सीडिंग करवाना पड़ता है यानी इस कृत्रिम बारिश के लिए सबसे पहले नकली बादल तैयार किया जाता है। सिल्वर आयोडाइड नाम के केमिकल को जब हल्के बादलों के बीच में स्प्रे किया जाता है, तब नकली बादल बनते हैं। इस पूरी प्रक्रिया के लिए एक हवाई जहाज का भी इस्तेमाल किया जाता है।
इन नकली बादलों पर जिस केमिकल का छिड़काव किया जाता है, उससे नकली बूंदें बनती हैं। जब बादल उन बूंदों का भार नहीं उठा पाता, तब वह बारिश के रूप में नीचे बरसती हैं। इस पूरी प्रक्रिया को ही आर्टिफिशियल रेन कहा जाता है। लेकिन इसमें सबसे बड़ा रोल एक प्लेन का होता है। छिड़काव के लिए प्लेन में एक इंस्ट्रूमेंट फिट किया जाता है और इसी इंस्ट्रूमेंट से केमिकल का छिड़काव किया जाता है।
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आर्टिफिशियल रेन कराने में आता है मोटा खर्चा (Artificial Rain Cost)
इस आर्टिफिशियल रेन को कराने में बहुत मोटा खर्चा आता है। इसमें सबसे पहले खर्चा प्लेन का रहेगा जिसकी मदद से स्प्रे किया जाता है। दूसरा खर्चा उस इंस्ट्रूमेंट का रहेगा जिससे केमिकल स्प्रे किया जाएगा। इस प्रक्रिया को करने में 1 घंटे के 5 लाख रुपए खर्च होंगे। ऐसे में इस एक्सपेरिमेंट को लगातार नहीं किया जा सकता। वहीं अगर इस दौरान हवा का रुख बदल गया, तो यह प्रक्रिया पूरी तरह फेल हो जाएगी।
आपको बता दें कि आर्टिफिशियल रेन का इस्तेमाल चीन और अमेरिका जैसे देशों में कई बार किया जा चुका है। प्रदूषण को कम करने के लिए आर्टिफिशियल रेन बहुत अहम है। यह देश समय-समय पर ऐसे एक्सपेरिमेंट करते रहते हैं। अब इस बार केजरीवाल सरकार भी दिल्ली में यह एक्सपेरिमेंट करेगी और राजधानी को इस जहर से मुक्ति दिलाएगी।