Karnataka Election: कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे का दिन है।अभी तक के रुझानों में कांग्रेस सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को करारी मात देकर पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आती दिखाई दे रही है। रुझानों के हिसाब से कांग्रेस को पूर्ण बहुमत के साथ ही हार और जीत के कारणों को लेकर भी चर्चा शुरू हो गई है। किसी का कहना है कि कर्नाटक में बीजेपी की करारी हार के पीछे मजबूत चेहरे का न होना है तो किसी का कहना है कि सियासी समीकरण साधने में नाकामी जैसी बड़ी वजहें रही हैं।
बीजेपी की हार के कारण
कर्नाटक में बीजेपी का मजबूत चेहरा न होना
कर्नाटक में बीजेपी की हार की सबसे बड़ा कारण मजबूत चेहरे का न होना रहा है। येदियुरप्पा की जगह बसवराज बोम्मई को भले ही मुख्यमंत्री बनाया हो लेकिन सीएम की कुर्सी पर रहते हुए भी बोम्मई का कोई खास प्रभाव नहीं रहा जबकि कांग्रेस के पास डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया जैसे मजबूत चेहरे थे।
भ्रष्टाचार का मुद्दा
बीजेपी की हार के पीछे अहम वजह भ्रष्टाचार का मुद्दा भी रहा। देखा जाए तो कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ शुरू से ही ’40 फीसदी पे-सीएम करप्शन’ का एजेंडा सेट किया और ये बड़ा मुद्दा बन गया। भ्रष्टाचार के मुद्दे पर ही एस ईश्वरप्पा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा तो एक बीजेपी विधायक को जेल भी जाना पड़ा। इस बार चुनाव में बीजेपी के लिए ये मुद्दा चुनाव में भी गले की फांस बना रहा।
सियासी समीकरण साधने में नाकाम
कर्नाटक के राजनीतिक समीकरण को भी साधने में बीजेपी कामयाब नहीं हो सकी। बीजेपी न ही अपने कोर वोट बैंक लिंगायत समुदाय को साथ जोड़कर रख पाई और ना ही दलित, आदिवासी, ओबीसी और वोक्कालिंगा समुदाय का ही दिल जीत पाई जबकि कांग्रेस मुस्लिमों से लेकर दलित और ओबीसी को मजबूती से जोड़े रखने में सफल रही।
ध्रुवीकरण का दांव नाकाम
पिछले एक साल से बीजेपी के नेता हलाला, हिजाब से लेकर अजान तक के मुद्दे उठाए लेकिन चुनाव के समय बजरंगबली की भी एंट्री कर दी नतीजा ये रहा कि धार्मिक ध्रुवीकरण की कोशिशें बीजेपी के काम नहीं आईं। बीजेपी ने जमकर हिंदुत्व कार्ड तो खेला लेकिन ये दांव काम नहीं आ सका।
येदियुरप्पा और दिग्गज नेताओं को साइड करना महंगा पड़ा
कर्नाटक में बीजेपी को खड़ा करने में अहम भूमिका निभाने वाले पूर्व मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा को इस बार के चुनाव में साइड लाइन कर दिया गया। पूर्व मुख्यमंत्री जगदीश शेट्टार और पूर्व डिप्टी सीएम लक्ष्मण सावदी का भी पार्टी ने टिकट काटा। इसके बाद दोनों ही नेताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। यानि साफ है कि दिग्गज नेताओं को नजरअंदाज करना बीजेपी को महंगा पड़ गया।
सत्ता विरोधी लहर की काट
कर्नाटक में बीजेपी की हार का बड़ा कारण सत्ता विरोधी लहर की काट नहीं तलाश पाना भी रहा। बीजेपी के सत्ता में रहने की वजह से लोगों में नाराजगी थी। बीजेपी के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर हावी रही और बीजेपी पूरी तरह से असफल साबित रही।