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Monday, December 23, 2024
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Captain Fatima Wasim 15,200 फीट की ऊंचाई पर पहली महिला मेडिकल ऑफिसर के रूप में तैनात, इतिहास में दर्ज हुआ नाम!

Captain Fatima Wasim News : भारत की बेटियां हर क्षेत्र में पुरुषों से कंधे से कंधा मिलाकर चल रही हैं। इस बार देश की बेटी फातिमा वसीम (Captain Fatima Wasim) ने इतिहास रच दिया है। फातिमा सियाचिन ग्लेशियर (Siachen Glacier) पर ऑपरेशनल पोस्ट पर तैनात होने वाली पहली महिला मेडिकल ऑफिसर (Fatima Wasim Medical Officer) बन गईं हैं।

कैप्टन फातिमा ने सियाचिन बैटल स्कूल (Siachen Battle School) से अपनी ट्रेनिंग पूरी की है। ट्रेनिंग के बाद उन्हें 15 हजार 200 फीट की ऊंचाई पर स्थित ऑपरेशनल पोस्ट पर तैनात किया गया है। जिसके बाद से कैप्टन फातिमा वसीम सियाचिन ग्लेशियर पर ऑपरेशन्ल पोस्ट पर तैनात होने वाली पहली महिला मेडिकल ऑफिसर बन गई हैं।

ऑपरेशनल पोस्ट पर पहली महिला ऑफिसर

भारतीय सेना के फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स (Fire and Fury Corps) ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर कैप्टन फातिमा वसीम का एक वीडियो भी साझा किया है। इसके कैप्शन में लिखा गया है कि सियाचिन वॉरियर्स की कैप्टन फातिमा वसीम, सियाचिन ग्लेशियर पर ऑपरेशनल पोस्ट पर तैनात होने वाली पहली मेडिकल ऑफिसर बन गई हैं।

बता दें कि फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स को आधिकारिक तौर पर 14वां कॉर्प्स कहा जाता है और इसका हेडक्वार्टर लेह में है। चीन-पाकिस्तान की सीमाओं (China Pakistan Border) पर इनकी तैनाती की जाती है। इसके साथ ही ये ऑफिसर्स सियाचिन ग्लेशियर की रक्षा करते हैं।​​​​​

इससे पहले स्नो लेपर्ड ब्रिगेड (Snow Leopard Brigade) की कैप्टन गीतिका कौल (Captain Geetika Kaul) पहली महिला मेडिकल ऑफिसर बनीं थीं, जिन्हें सियाचिन की 15,600 फीट की बैटलफील्ड पर तैनात किया गया। और अब कैप्टन फातिमा वसीम की पोस्टिंग उनकी अदम्य भावना और उच्च प्रेरणा को दर्शाती है।

1984 से लगातार सियाचिन ग्लेशियर में डटे हैं सैनिक

बता दें कि सियाचिन ग्लेशियर भारत-पाक बॉर्डर के पास करीब 78 किलोमीटर में फैला है। इसके एक तरफ पाकिस्तान है तो दूसरी तरफ अक्साई चीनl। 1972 के शिमला समझौते में सियाचिन को बेजान और बंजर बताया गया था। हालांकि तब भारत-चीन के बीच इसके सीमा का निर्धारण नहीं हुआ था।

1984 में भारतीय सेना को जानकारी मिली कि पाकिस्तानी सेना इस इलाके को कब्जे में लेने की कोशिश कर रही है, जिसके बाद 13 अप्रैल 1984 को भारतीय सेना ने अपनी फायर एंड फ्यूरी कॉर्प्स की स्पेशल टुकड़ी को इस इलाके में तैनात कर दिया।

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