Shivaji Jayanti 2025: छत्रपति शिवाजी महाराज को तो हम सब जानते हैं उनके वीरता की गाथा आज भी हम किताबो और फिल्मों में देखते आ रहे हैं। शिवाजी ने मुगलों से लंबी लड़ाई लड़ी थी और मराठा साम्राज्य की स्थापना की थी। शिवाजी ने अपने दरबार में मराठी और संस्कृत भाषा को विशेष प्राथमिकता दी थी। विदेशी आक्रमण के बावजूद भी उन्होंने हिंदू रीति-रिवाजों को बचाए रखा। लेकिन शिवाजी महाराज की जयंती को लेकर विवाद है। इनकी जयंती साल में तीन बार मनाई जाती है, आखिर क्या है वो विवाद चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से…
19 फरवरी
बता दें कि, साल 2000 में महाराष्ट्र विधानसभा में प्रस्ताव पारित किया गया था कि शिवाजी का जन्म 19 फरवरी 1630 को हुआ था। इस तिथि को 19 फरवरी को शिवाजी जयंती मनाई जाती है। दरअसल यह ग्रेगोरियन कैलेंडर के अनुसार तीथि है।
फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि
वहीं, पंचांग के अनुसार शिवाजी का जन्म फाल्गुन मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि, 1551 शक संवत्सर को हुआ था। ग्रेगोरियन कैलेंडर में यह तिथि हर साल बदलती है, आमतौर पर यह फरवरी या मार्च में पड़ती है।
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6 अप्रैल
कुछ इतिहासकार (जैसे एन.आर. फाटक) और समुदाय मानते हैं कि शिवाजी का जन्म वैशाख शुक्ल द्वितीया, शक 1549 (6 अप्रैल, 1627) को हुआ था। यही कारण है कि कुछ लोग आज भी इस तिथि को शिवाजी की जयंती मनाते हैं।
सरकार ने इस तिथि को दी मान्यता
शिवाजी जयंती के लिए महाराष्ट्र सरकार द्वारा 19 फरवरी की तिथि को आधिकारिक रूप से मान्यता दी गई है। इतिहासकारों की एक समिति ने 1966 में निर्णय लिया था कि शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी किले में हुआ था। इस तिथि को तत्कालीन देशमुख सरकार ने 2000 में औपचारिक रूप से स्वीकार किया था। तब पूर्व विधायक रेखाताई खेडेकर ने समिति की रिपोर्ट और अन्य साक्ष्य प्रस्तुत किए थे। इसलिए, तब से इस दिन शिवाजी जयंती मनाई जाने लगी। हालांकि, समाज का एक छोटा वर्ग इस तिथि को यह जयंती नहीं मनाता है।
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