दिल्ली हाई कोर्ट ने शुक्रवार को राष्ट्रीय राजधानी की जेलों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए एक समिति का गठन किया। इसके अलावा दिल्ली उच्च न्यायालय ने जेलों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार के लिए सरकार को कई निर्देश जारी किए।
दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य सचिव की अध्यक्षता में इस समिति का गठन किया गया है। जिसमें कहा गया है कि जेल के हर कैदी को जीवन और मानवीय उपचार का अंतर्निहित अधिकार है। बता दें कि यह कमेटी एक महीने के भीतर अपने सुझाव देगी।
न्यायमूर्ति स्वर्णा शर्मा ने आदेश देते हुए कहा, “राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण सचिव एक समिति का गठन करेंगे।”
बता दें कि जेल महानिदेशक, दिल्ली जेल के मुख्य चिकित्सा अधिकारी, जिला अदालतों के दो वरिष्ठ जेल विजिटिंग जज, दिल्ली राज्य कानूनी सेवा प्राधिकरण के सचिव के साथ-साथ वकील संजय दीवान और गायत्री पुरी भी इस समिति के सदस्य होंगे।
आपको बता दें कि इसके अलावा समिति अदालत को विशेष रूप से यह भी बताएगी कि क्या कार्डियक अरेस्ट, रक्तस्राव आदि जैसी आपात स्थितियों से निपटने के लिए जेल अस्पताल में सुविधाएं उपलब्ध हैं, क्योंकि ऐसी स्थिति में पहले कुछ मिनट बचाने के लिए महत्वपूर्ण हैं।
दिल्ली हाई कोर्ट का मानना है कि जेल परिसर के प्रबंधन और रखरखाव के लिए दिल्ली सरकार जिम्मेदार है। जेलों में एक उपयुक्त मेेडिकल केयर सिस्टम का होना महत्वपूर्ण है जो कैदी रोगियों की जरूरतों पूरा कर सके।
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