सरकारी उदासीनता के चलते अरसे से चल रहा है अवैध कारोबार
राहुल शर्मा
गाजियाबाद। आंध्र प्रदेश के प्राचीन मंदिर के प्रसाद में इस्तेमाल होने वाले घी और तेल में सुअर की चर्बी और मछली के प्रयोग का खुलासा होने से जहां हड़कंप मचा है, वहीं करोड़ों उन हिन्दुओं की आस्था के साथ भी खिलवाड़ हुआ है जो पूरे सात्विक हैं और मांसाहार से परहेज करते हैं। लेकिन दिल्ली-NCR में रहने वाले लोगों की आस्था से खिलवाड़ तो दशकों से चल रहा है। सरकारी विभागों की अनदेखी के चलते दिल्ली-NCR में पशुओं के अवशेषों से बनने वाले प्रोडक्ट्स प्रोडक्ट्स आपके घर तक पहुंच रहे हैं। आप मॉल्स या बड़ी दुकानों से सामान खरीदकर यदि खुद को महफूज समझ रहे हैं तो ये भी आपकी भूल है। क्योंकि पशु अवशेषों से बनने वाले नकली प्रोडक्ट्स छोटी-बड़ी दुकानों से लेकर मॉल्स तक में बिक रहे हैं।
सूअर की चर्बी का इस्तेमाल
सूअर का इस्तेमाल 80 फीसदी मांस प्राप्त करने के लिए होता है। लेकिन सूअर के मांस और चमड़े से भी कई अलग-अलग सामान बनाए जाते हैं। सूअर के चमड़े के साथ-साथ उसके रक्त का इस्तेमाल भी कई प्रोडक्ट को बनाने में किया जाता है। इसमें जूते की पॉलिश, दवाइयां, पशु आहार, खाद, वस्त्रों की रंगाई–छपाई शामिल है। सूअर के हड्डियों का प्रयोग कई तरह के औधोगिक उत्पाद बनाने में किया जाता है जबकि नकली घी और तेल बनाने वाले सूअर की चर्बी का इस्तेमाल नकली घी, मक्खन आदि खाद्य पदार्थ बनाने में करते हैं। इतना ही नहीं सूअर के बाल से शेविंग करने वाले ब्रश, धुलाई करने वाले ब्रश, चित्रकारी के ब्रश, चटाइयां और पैराशूट के सीट बनाए जाते हैं. इसके अलावा सूअर की चर्बी मोमबत्ती, उर्वरक, शेविंग क्रीम, मलहम और रसायन बनाने में इस्तेमाल होती है।
यहां होते हैं मिलावटी प्रोडक्ट्स तैयार
दिल्ली-NCR में यूं तो हर जगह छोटे स्तर पर सरकारी मशीनरी से साठगांठ करके नकली प्रोडक्ट्स तैयार हो रहे हैं मगर यूपी के गाजियाबाद, गौतमबुद्धनगर, मेरठ, मुजफ्फरनगर, बुलंदशहर और हापुड़ में जबकि दिल्ली के सीमापुरी, सीलमपुर, अशोक नगर, होडल, करावल नगर, नंदनगरी, सुंदरनगरी समेत हरियाणा की सीमा से लगे इलाकों में ये गोरखधंधा अरसे से चल रहा है। हरियाणा के दिल्ली की सीमा से लगे कई इलाकों और बस्तियों में भी नकली खाद्य पदार्थों का निर्माण धडल्ले से हो रहा है।
मोटे कमीशन के फेर में हो रही बिक्री
इन नकली खाद्य पदार्थों की बिक्री छोटी-बड़ी दुकानों पर मोटे कमीशन की वजह से जोर-शोर से चल रही है। सरकारी विभागों की अनदेखी के चलते ये गोरखधंधा आबादी और लोगों की जरूरत के हिसाब से लगातार बढ़ता जा रहा है।
कई बार हो चुका है करतूत का खुलासा
ऐसा नहीं है कि नामचीन कंपनियों के नाम पर और फर्जी प्रोडक्ट्स में सूअर की चर्बी और अन्य पशुओं का इस्तेमाल करने की बात सामने न आई हो। बल्कि गाहे-ब-गाहे सरकारी तंत्र द्वारा की जाने कार्रवाई में इन करतूतों का खुलासा भी होता रहा है। मगर, इन नकली प्रोडक्ट्स की बिक्री और इनका निर्माण करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई लगातार न होने से ये धंधा लगातार अपने पांव पसार रहा है।
त्यौहारों पर बढ़ जाती है सप्लाई
जैसे ही त्यौहारी सीजन शुरू होता है इन नकली प्रोडक्ट्स की सप्लाई और सेल में इजाफा हो जाता है। सरकारी तंत्र की उदासीनता के चलते दिल्ली-NCR में सबसे ज्यादा नकली घी, पनीर, खोया (मावा) की बिक्री और उसे तैयार करने का काम हो रहा है। इनके अलावा आइसक्रीम सहित अन्य कई खाद्य पदार्थों में भी इनका इस्तेमाल बे-रोक-टोक चल रहा है।