SC on Delhi Pollution : दिल्ली एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) सख्त नजर आ रही है। शुक्रवार को उच्च न्यायालय ने ऑड-ईवन योजना (Delhi Pollution) को लेकर दिल्ली सरकार को फटकार लगाई। साथ ही पराली जलाने को लेकर पंजाब को भी आड़े हाथों लिया। इस मामले की अगली सुनवाई 21 नवंबर को होगी।
आपको बता दें कि इससे पहले दिल्ली सरकार ने एक हलफनामे में ऑड-ईवन योजना (Odd-Even) के फायदे सुप्रीम कोर्ट को बताए थे। वहीं स्मॉग टावर बंद होने होने पर DPCC ने कहा कि इसका प्रभाव क्षेत्र 2 किलोमीटर तक होने की उम्मीद थी। इस प्रायोगिक आधार पर स्थापित किया गया था। जून से सितंबर और अक्टूबर तक बारिश होने की वजह से इसे बंद करना पड़ा और बारिश के दौरान से चलाया नहीं जा सकता। उसके बाद जस्टिस कौल ने प्रदूषण को लेकर कहा कि हर साल इस दौरान मौसम में बदलाव होता है लेकिन 6 साल से इस समस्या का समाधान नहीं हो पाया। डाटा प्रोसेसिंग बहुत महत्वपूर्ण होती है।
अदालत ने कहा कि इस मामले में सभी राज्य जिम्मेदार हैं। मुख्य सचिवों से मिलकर जल्दी ही समाधान निकाले।पराली के बारे जब SC ने पूछा तो पंजाब के अटॉर्नी जनरल ने कहा कि पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है। जस्टिस कौल ने आगे कहा कि पंजाब में पराली जलाने की एक बड़ी वजह धान की खास किस्म की खेती होना है। किसानों को दूसरी फसलों के लिए प्रोत्साहित करना जरूरी है। पंजाब को देखना होगा कि पराली (Parali) का निपटान बिना आग के कैसे किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकारते हुए कहा कि आप केवल रिकॉर्ड भर रहे हैं और कुछ नहीं। हमारी चिंता है कि आप लॉन्ग टर्म मेजर के लिए क्या कर रहे हैं। फसल के विकल्प दूसरी फसल, इसका मतलब ये नहीं कि आप 5 साल ले लें। (Delhi Pollution)
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वहीं इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने ऑडी वन पर फिर सवाल उठाए और कहा कि इस स्कीम से फायदा नहीं होगा। जिस पर दिल्ली सरकार ने कहा कि हमने दो रिसर्च सुप्रीम कोर्ट से साझा किए हैं जिसमें इस स्कीम के फायदे बताए है। तो सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको जो करना है आप करें कल अगर आप कहेंगे कि सुप्रीम कोर्ट ने करने नहीं दिया। हम बस ये कहना चाहते हैं कि इस स्कीम का असर हो रहा है, आप अपना फैसला लीजिए। हम बस इन उपायों को ग्राउंड लेवल पर लागू करना चाहते हैं।
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जस्टिस कौल ने कहा प्रदूषण का स्तर नीचे आना ही चाहिए और इसके लिए कल का इंतजार नहीं हो सकता। कोर्ट ने आगे कहा कि किसान समाज का हिस्सा है और उन्हें अधिक जिम्मेदार होना पड़ेगा और हमें उनकी जरूरत को लेकर ज्यादा संवेदनशील होना होगा। जस्टिस कौल ने कहा कि सभी समस्याएं बताई जा चुकी हैं, समाधान भी हैं। लेकिन जब तक यह अदालत चाबुक नहीं चलाती तब तक कोई असर नहीं होगा।