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ED ने सील किया नेशनल हेराल़्ड का दफ्तर, एहतियात के तौर पर दिल्ली पुलिस ने डाला AICC ऑफिस के बाहर डेरा

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कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल से लंबी पूछताछ के बाद ईडी ने नेशनल हेराल्ड दफ्तर को सील कर दिया। एजेंसी का कहना है कि बगैर उनकी अनुमति के दफ्तर किसी सूरत में न खोला जाए। ऐसा किया तो कानूनन जुर्म होगा। उधर ईडी के फैसले के मद्देनजर दिल्ली पुलिस ने AICC दफ्तर के बाहर निगरानी बढ़ा दी है। पुलिस को आशंका है कि नेशनल हेराल्ड का दफ्तर सील होने के बाद बवाल हो सकता है। लिहाजा पहले से ही एहतियाती इंतजाम करने बेहद जरूरी हैं।

पुलिस ने सोनिया गांधी के साथ राहुल गांधी के घरों के बार भी निगरानी बढ़ा दी है। मामले से जुड़े लोगों का कहना है कि ईडी ने जब सोनिया और राहुल को पूछताछ के लिए तलब किया था तब खासा बवाल देखा गया था। हेराल्ड का दफ्तर सील करने के बाद कांग्रेस के लोग भड़क सकते हैं। लिहाजा पहले से ही सुरक्षा व्यवस्था चाक चौबंद कर दी गई है। कांग्रेसी अगर बवाल करें तो समय रहते ही उन्हें काबू कर लिया जाए।

ईडी ने दिल्ली स्थित नेशनल हेराल्ड के दफ्तर में बीते दिन रेड की थी। इस मामले को लेकर देश भर में 14 लोकेशन पर छापेमारी की गई। कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी और राहुल गांधी से पिछले दिनों ईडी ने पूछताछ की थी। पूछताछ के विरोध में कांग्रेस ने सत्याग्रह भी किया था। इस दौरान अशोक गहलोत और भूपेश बघेल जैसे मुख्यमंत्रियों समेत कांग्रेस के तमाम दिग्गज दिल्ली की सड़कों पर गिरफ्तारी देते दिखे थे। पुलिस को डर है कि पहले ही तरह से दिग्गज कांग्रेसी फिर से विरोध न करने लगें।

क्या है मामला?

बीजेपी नेता और वरिष्ठ वकील सुब्रमण्यम स्वामी ने 2012 में ट्रायल कोर्ट में याचिका दायर कर आरोप लगाया था कि कुछ कांग्रेसी नेताओं ने गलत तरीके से यंग इंडियन लिमिटेड (वाईआईएल) के जरिए एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड का अधिग्रहण किया है। उन्होंने आरोप लगाया था कि यह सब कुछ दिल्ली में बहादुर शाह जफर मार्ग पर स्थित हेराल्ड हाउस की 2000 करोड़ रुपये की बिल्डिंग पर कब्जा करने के लिए किया गया। साजिश के तहत यंग इंडियन लिमिटेड को टीजेएल की संपत्ति का अधिकार दिया गया।

सूत्रों का कहना है कि PMLA को लेकर हाल में सुप्रीम कोर्ट ने जो फैसला दिया है उसके बाद गांधी परिवार को लगने लगा है कि उनकी मुश्किलों में और भी इजाफा हो सकता है। इसी वजह से कांग्रेस समेय 17 दलों ने एक चिट्ठी लिख कोर्ट के फैसले पर एतजार जताया। उनका कहना है कि फाईनेंस एक्ट को लेकर सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच में मंथन होना चाहिए। इस फैसले से पहले से बेलगाम हो रही सरकार पर कोई अंकुश नहीं रहेगा।

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