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Friday, November 22, 2024
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‘एकला चलो का ऐलान’, UP में मायावती किसे लगाएगी सेंध?

यूपी की सियासत में BSP सुप्रीमों मायावती का बयान दिल्ली तक तहलका मचा देता है। आज 15 जनवरी यानी अपने जन्मदिन पर मायावती ने ऐलान किया है कि वो किसी भी गठबंधन में शामिल नहीं होंगी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में BSP अपने दम पर चुनाव लड़ेगी। मायवती ने आक्रामक रुख अपनाते हुए प्रेस कॉन्फ्रेंस में सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव को गिरगिट तक कह डाला। इतना ही नहीं मोदी सरकार की फ्री राशन योजना को गुलामी का टूल करार दे दिया।

अब सवाल इस बात का है कि यूपी लोकसभा चुनाव में मायावती का अकेले लड़ने का ऐलान यूपी में किसके वोट बैंक में सेंध लगाएगा। दरअसल मायावती बीते कई चुनावों से साफ पता चल रहा है कि उनके वोट बैंक में गैर-जाटव वोट बैंक में बीजेपी सेंध लगाने में कामयाब रही है।

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दूसरी ओर यूपी में जमीन तलाश रही कांग्रेस अपने पुराने वोटबैंक दलितों को लुभाने की पूरी कोशिश कर रही है। साल 2019 के लोकसभा चुनाव में मायावती ने अखिलेश के साथ भी गठबंधन किया था लेकिन कोई खास फायदा नहीं हुआ। हालांकि BSP को 10 सीटें मिली थीं जबकि 2014 में वो एक भी सीट नहीं जीत पाई थी।

2019 के नतीजों के बाद मायावती ने का कहना था कि सपा का वोट बीएसपी की ओर ट्रांसफर नहीं हुआ वहीं अखिलेश यादव की सपा को सिर्फ 5 सीटें मिली थीं। इसके बाद मायावती एनडीए सरकार के नजदीक जाते दिखीं। कई बार ऐसे मौके आए जब विपक्ष से इतर बीएसपी मोदी सरकार के समर्थन में नजर आई।

इतना ही नहीं यूपी में कई उपचुनावों में भी मायावती पर आरोप लगा कि वो जानबूझकर ऐसे प्रत्याशी खड़े कर रही हैं जिसका फायदा बीजेपी को मिले। ये बातें कई नतीजों के बाद भी साबित हुई। इसी कड़ी में देखें तो साल 2022 में आजमगढ़ लोकसभा सीट का उपचुनाव का नतीजा सामने हैं।

UP में दलित-मुस्लिम समीकरण के भरोसे मायावती!

बीजेपी की टिकट से दिनेश लाल यादव निरहुआ को 3 लाख 12 हजार 432 वोट मिले। सपा प्रत्याशी धर्मेन्द्र यादव को 3 लाख 3 हजार 837 वोट मिले। वहीं बीएसपी प्रत्याशी गुड्डू जमाली को 2 लाख 66 हजार 106 वोट मिले। बीजेपी को 34.39 प्रतिशत, सपा को 33.44 प्रतिशत और बसपा को 29.27 प्रतिशत वोट मिले।

साफ है कि विधानसभा चुनाव में आजमगढ़ में 10 विधानसभा सीटें जीतने वाली सपा के खाते में मुस्लिम वोट बैंक इस बार एकमुश्त नहीं गया था। इसी तरह घोसी विधानसभा चुनाव में बीएसपी प्रत्याशी न उतारकर बीजेपी को भी ताकत दिखा दी थी। मायावती ने एक लाइन का संदेश दिया कि बीएसपी के वोटर नोटा में वोट डाल आएं। मतलब अगर सपा के खिलाफ पड़ने वाला वोट बीजेपी को नहीं गया नतीजों में बीजेपी की हार हो गई।

दरअसल, बीएसपी अब यूपी में दलित-मुस्लिम समीकरण को मजबूत करने में जुट गई है। यह फॉर्मूला पार्टी को आजमगढ़ उपचुनाव के नतीजों से मिला। बीते कुछ दिनों में मायावती ने आजम खान के पक्ष में भी बयान दिए थे।

जाहिर है लोकसभा चुनाव में कांग्रेस-सपा मिलकर बीजेपी के खिलाफ मजबूत मोर्चा बनाने की कवायद में जुटे हैं, तो दूसरी ओर बीएसपी दलित-मुस्लिम फॉर्मूले को मजबूत करने में जुट गई। बीएसपी को भले ही इससे मजबूती मिल जाए लेकिन इससे कई सीटों पर वोटों का बिखराव तय है साथ ही यह भी तय है कि मायवती का ये ऐलान सभी पार्टियों को नए सिरे से वोटों के समीकरण पर सोचने को मजबूर कर गया होगा।

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