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पिछले चुनाव में 6 सीट लाने वाले कांग्रेस ने आखिर कैसे फतह किया तेलंगाना और क्यों हार गई एमपी-छत्तीसगढ़ और राजस्थान

चार राज्यों के परिणा में बीजेपी को तीन राज्य राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्यप्रदेश में भारी बहुमत मिला तो तेलंगाना में मिली जीत के से कांग्रेस की इज्जत बच गई। तेलंगाना में कांग्रेस ने इतिहास रचते हुए पहली बार सरकार बनाने जा रही है। मतलब कि कांग्रेस को दक्षिण में एक और द्वार मिल गया है।

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तेलंगाना में कैसे जीती कांग्रेस
यहां कांग्रेस ने बीआरएस का गढ़ कहे जाने वाला तेलंगाना में अपना किला बना लिया है। न राजस्थान में अशोक गहलोत कुछ कर पाए और ना ही मध्यप्रदेश में कमलनाथ कांग्रेस को जीत दिला पाए और छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल के साथ भी खेला हो गया। आखिर सवाल ये है कि तीन राज्यों में हारने वाली कांग्रेस तेलंगाना में कैसे जीत गई। इस सवाल का जवाब ये है कि कांग्रेस ने यहां अपनी तैयारी पहले से ही शुरू कर दी थी। यहां चुनाव का ऐलान होने से एक साल पहले से ही पार्टी ने चुनाव प्रचार शुरू कर दिया था। यहां जो भी चुनावी गतिविधि हो रही थी उसकी कमान सीधे कांग्रेस आलकमान ने अपने हाथ में रखी थी।


पिछली बार महज 6 सीट मिले थे
तेलंगाना में पिछले चुनाव में कांग्रेस को सिर्फ 6 सीटें मिली थीं, ऐसे में पार्टी इस बार कोई भी चूक नहीं करना चाहती थी। अगर राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का समय देखा जाए तो राहुल ने कर्नाटक की तरह तेलंगाना में भी लंबा वक्त गुजारा था। राहुल गांधी और पार्टी के महासचिव केसी वेणुगोपाल ने कांग्रेस के नेताओं से मुलाकात कर उन्हें एकजुटता का संदेश दिया। कांग्रेस ने यहां की जनता की भावना को समझा और प्रदेश में सर्वे कर सीएम चंद्रशेखर राव को निशाना बनाया था।


इस रणनीति ने कांग्रेस को दिलाई जीत
इसके लिए कांग्रेस ने कई चुनावी गानों का भी सहारा लिया। कांग्रेस पार्टी ने इंटरनल सर्वे कराया और तेलंगाना में सक्षम उम्मीदवारों की खोज कर उन्हें ही टिकट दिया जो जीत की गारंटी बन गया। वहीं छत्तीसगढ़ में कांग्रेस का अतिआत्मविश्वास उसे ले डूबा। कांग्रेस को भूपेश बघेल की जीत पर कोई शंका नहीं थी, जिस वजह से कांग्रेस ने इस राज्य में कोई ज्यादा ध्यान नहीं दिया। इसके उलट पीएम मोदी ने यहां काफी रैलियां की थी।
राजस्थान में इस वजह से हारी कांग्रेस
वहीं राजस्थान की बात करें तो यहां एक रिवाज है कि हर पांच साल में सरकार बदलती है और हुआ भी यहीं। राजस्थान में कांग्रेस की आपसी लड़ाई पार्टी को ले डूबी, यहां सीएम अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच गुट बन गया था। गुटबाजी और बागी नेताओं की वजह से कांग्रेस को यहां काफी नुकसान हुआ।

लेकिन मध्यप्रदेश में कांग्रेस ने तेलंगाना में जैसे एक साल पहले तैयारी शुरू की थी ठीक वैसे ही बीजेपी ने एक साल पहले ही अपनी तैयारी शुरू कर दी थी। यहां अपनी जीत निश्चित मान रहे कमलनाथ ने चुनाव प्रचार के दौरान इंडिया गठबंधन के सहयोगियों को खूब खरी-खरी सुनाई थी और बीजेपी यहां हिंदुत्व कार्ड खेलती रही, जिसके बाद बीजेपी को चुनाव परिणाम में बहुमत मिला।

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