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मणिपुर में एक बार फिर से बढ़ा इंटरनेट पर प्रतिबंध, अफवाहे न फेले इसलिए प्रशासन ने लिया फैसला

मणिपुर में एक बार फिर से सरकार ने इंटरनेट पर लगी रोक को बढ़ा दिया है। मणिपुर सरकार ने राज्य में 18 नवंबर तक इंटरनेट पर बैन बढ़ाने का फैसला लिया है। इससे पहले 13 नवंबर तक बढ़ाया गया था। मणिपुर में 3 मई को हिंसा भड़की थी।

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Manipur Violence : मणिपुर हिंसा के बीच गृह मंत्रालय ने लिया बड़ा फैसला, मैतेई समुदाय के ये संगठन बैन
मणिपुर में फिर बढ़ा इंटरनेट पर बैन
मणिपुर पुलिस का कहना है कि बिष्णुपुर, चुराचांदपुर, इंफाल पूर्व सहित पांच जिलों में दो समुदायों के बीच गोलीबारी की खबरें आई हैं। ऐसे में आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्व जनता की भावनाएं भड़काने की कोशिश कर सकते हैं। इसी वजह से इंटरनेट बैन 5 दिन के लिए और बढ़ाया गया है।
प्रशासन ने इसलिए लिया फैसला
राज्य में 195 दिन पहले इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाया गया था। तब से हर पांच दिन बाद प्रतिबंध बढ़ाया जा रहा है। मणिपुर कमिश्नर ने अपील की है कि असामाजिक तत्व जनता की भावनाएं भड़काने वाली तस्वीरें, नफरत भरे भाषण व वीडियो शेयर न करें। कोई गलत अफवाहें न फैलाई। मणिपुर की कानून व्यवस्था को देखते हुए देखते हुए इंटरनेट पर रोक लगाई गई है।


दो फोटो से भड़की थी हिंसा
बता दें मणिपुर में स्थिति काफी हद तक सामान्य होने के बाद 23 सितंबर को इंटरनेट प्रतिबंध हटा दिया गया था, लेकिन दो लापता छात्रों के शवों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो गई थी, जिसके बाद सैकड़ों छात्रों की सुरक्षा बलों के साथ झड़प हो गई थी। जिसे देखते हुए 26 सितंबर को इसे फिर से इंटरनेट पर रोक लगाना पड़ा था।
ये है राज्य में अशांति की वजह
राज्य में हिंसा की शुरुआत तब हुई थी जब हाईकोर्ट ने अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का फैसला लिया था। मैतेई समुदाय की मांग थी कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा मिले। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका दायर करते हुए दलील दी थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था।
इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति में शामिल किया जाए। इस फैसले के बाद कुकी और नगा जनजाति मैतई को मिले इस आरक्षण के खिलाफ भड़क गए। राज्य में 3 मई से जारी हिंसा में अब तक 187 लोगों की मौत हो चुकी हैं। वहीं 1 हजार से ज्यादा लोग घायल हुए।

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