Kanpur News : आज आपको तंत्र के ऐसे गणों के बारे में बताते हैं जिन्होंने वैदिक ज्ञान का प्रकाश हर घर में पहुंचाने के लिए मशाल जला रखी है। इनके ध्यान का केंद्र वो परिवार हैं जो समाज के पिछड़े, गरीब और वंचित हैं। पं. दीनदयाल उपाध्याय सनातन धर्म विद्यालय (Pt. Deendayal Upadhyay Sanatan Dharma Vidyalaya) के गणित के शिक्षक ऋषभ श्रीवास्तव और उनकी टीम की मदद से आज इन परिवारों के बच्चे वेदपाठी बनकर मंत्रोच्चारण कर रहे हैं।
शिखा धारण कर रहे हैं और धर्म ध्वजा फहरा रहे हैं। अब तक पांच सौ से ज्यादा लोग प्रशिक्षित हो चुके हैं और ये अभियान तेजी से आगे बढ़ रहा है।
बिठूर के मनु सतरूपा मंदिर से शुरू हुईं निःशुल्क कक्षाएं
कानपुर (Kanpur News) के बिठूर निवासी ऋषभ बताते हैं कि बिठूर के मनु सतरूपा मंदिर में कक्षाएं शुरू हुई जिसमें पूरी तरह निशुल्क वेद वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ही हवन-पूजन की विधियां बताई गईं। बिठूर के बाद आर्यनगर गोविन्द नगर कल्याणपुर और शुक्लागंज में भी कक्षाएं शुरू की गईं।
ग्रीष्मावकाश में तो सात दिन तक कक्षाएं चलती हैं जबकि वैसे सप्ताह में एक दिन सुबह नौ से 10ः30 बजे तक कक्षा लगती है। उन्होंने बताया कि किशोर और युवा पूरे उत्साह से इन कक्षाओं में प्रतिभाग करते हैं और फिर सिखाए गए तरीकों से हवन आदि विधियां पूर्ण भी करते हैं।
ऋषभ बताते हैं कि समाज में मतांतरण कराने के लिए लोगों को सक्रिय देखकर मन विचलित होता था। तब मन में विचार आया कि सनातन धर्मी परिवारों के बच्चों को वेद पाठ से जोड़ा जाए और उन्हें दीक्षित किया जाए।
चले थे अकेले, लेकिन जुड़ता गया कारवां
वर्ष 2020 उनकी योजना तब फलीभूत हुई जब उन्हें सेवानिवृत्त वायुसेना कर्मी और बैंक आफ इंडिया में कार्यरत गोविंद नगर निवासी विनोद कुमार, गोसेवक, ब्रह्मचारी दीपक अरोड़ा, कक्षा 12 के छात्र बिठूर निवासी मयंक के साथ आढ़ती संतोष कुमार और संजय कुमार मिले। इन लोगों की टीम बिठूर के परियर से अभियान शुरू किया। इसके साथ ही वेद प्रचार फाउंडेशन की नींव रखी गई।
कंबल वितरण के जरिए जुड़े परिवारों से
वेदों की शिक्षा ग्रहण कर चुके ऋषभ बताते हैं कि इन परिवारों से जुड़ने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। इन परिवारों को सर्दी में कंबल वितरण के लिए गए तो वहां अपने धर्म का प्रचार करते लोगों को देखा तो फिर मतांतरण रोकने पर पूरा ध्यान केंद्रित किया। वहां लोगों के लिए 30 प्रश्नों की प्रश्नावली तैयार की।
इन 30 प्रश्नों को ऐसे तैयार किया गया है जिसमें वैदिक ज्ञान से जुड़ी प्रमुख जानकारियां हैं। लोगों को वेदों के बारे में अधिक जानकारी नहीं थी। तब उन्हें विस्तार से वैदिक ज्ञान-संस्कारों (Kanpur Vedic Knowledge News) की जानकारी देकर वेदों और ग्रंथों के रचयिताओं के नाम भी बताए।
इस धार्मिक कार्य के लिए कोर टीम अपने पास से ही धन का इंतजाम करती है। हवन-पूजन सामग्री एकत्र करती है और वैदिक शिक्षा के प्रचार-प्रसार में जुटी है। इनमें ज्यादातर निषाद परिवार थे और वह मांसाहार आदि करते थे, लेकिन अभियान से जुडने के बाद इन लोगों ने स्वतः मांसाहार छोड़ने का संकल्प लिया। इसमें 16 से 32 वर्ष के किशोर और युवाओं ने आगे बढ़कर वेद पढ़ने की इच्छा जताई। इस तरह से अभियान का शुभारंभ हुआ।
कई प्रदेशों तक चल रहे प्रशिक्षण कार्यक्रम
तीन से चार साल के बीच 500 युवा और किशोर दीक्षित हो चुके हैं, जबकि 100 से 150 युवा अब इस शिक्षा के प्रसार में जुटे हैं। कानपुर के बर्रा निवासी दीपक वर्तमान में देहरादून में रह रहे हैं, वह पूर्णकालिक तौर पर वहां युवा पीढ़ी को संस्कारित कर रहे हैं जबकि इसी तरह बैकुंठपुर निवासी अतुल मिश्र झारखंड में संस्कारों की पाठशाला चला रहे हैं।