Krishna Janmbhoomi Case : मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद (Shahi Idgah Mosque) को हटाने की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई, जिस पर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ अपील खारिज कर दी, जिसमें मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद स्थल को कृष्ण जन्मभूमि के रूप में मान्यता देने और मस्जिद को हटाने की मांग करने वाली जनहित याचिका खारिज कर दी गई थी।
जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस दीपांकर दत्ता की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि जनहित याचिका सुनवाई योग्य नहीं है क्योंकि इसमें उठाए गए मुद्दों पर कई नागरिक मुकदमे पहले से ही विचाराधीन हैं।
SC ने आदेश में कहा कि कोर्ट आक्षेपित फैसले में हस्तक्षेप करने के इच्छुक नहीं हैं, इसलिए यह SLP खारिज होती है। जस्टिस खन्ना ने याचिकाकर्ता से कहा कि मुकदमे की बहुलता न रखें। आपने इसे एक जनहित याचिका के रूप में दायर किया था, यही कारण है कि इसे उच्च न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया था। इसे अन्यथा दायर करें, हम देखेंगे।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने भी खारिज की थी याचिका
12 अक्टूबर, 2023 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय (Allahabad High Court) ने मथुरा की शाही ईदगाह मस्जिद को हटाने की मांग करने वाली एक जनहित याचिका को खारिज कर दिया था। जो कथित तौर पर कृष्ण जन्मभूमि पर बनी थी। जिसे याचिकाकर्ता वकील महक माहेश्वरी भगवान कृष्ण का जन्मस्थान होने का दावा करते हैं।
याचिका में दिया गया यह तर्क
उनकी जनहित याचिका में यह तर्क दिया गया था कि विभिन्न ग्रंथों में प्रश्नगत स्थल को कृष्ण जन्मभूमि भूमि (Krishna Janmbhoomi Case) के रूप में दर्ज किया गया था और दावा किया गया था कि यह एक उचित मस्जिद नहीं थी, क्योंकि इसे प्रश्न में भूमि का जबरन अधिग्रहण करके बनाया गया था।
जबरन हुआ मस्जिद का निर्माण
याचिका में कहा गया कि यह एक उचित मस्जिद नहीं है क्योंकि इस्लामी न्यायशास्त्र के अनुसार, जबरन अधिग्रहित भूमि पर मस्जिद का निर्माण नहीं किया जा सकता है। दूसरी ओर, हिंदू न्यायशास्त्र के अनुसार, एक मंदिर एक मंदिर ही होता है, भले ही वह खंडहर हो।