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Tuesday, June 6, 2023
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New Parliament: 28 मई को PM नरेंद्र मोदी करेंगे नए संसद भवन का उद्घाटन, 1280 सांसद बैठ सकेंगे

New Parliament: 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नई पार्लियामेंट बिल्डिंग का उद्घाटन करेंगे। स नए संसद भवन का निर्माण करीब 12 सौ करोड़ रुपये की लागत से हुआ है जिसे 28 महीने में पूरी किया गया है। लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने पीएम नरेंद्र मोदी से मिलकर उन्हें नए संसद भवन के उदघाटन के लिए निमंत्रण सौंपा और पीएम ने स्वीकार कर लिया।

भावी सांसदों के लिए एक्सट्रा सीटें

इस नए संसद भवन (New Parliament House) में लोकसभा सदस्यों के लिए 888 सीटें लगाई गई हैं। भविष्य में लोकसभा मेंबर्स की संख्या में बढ़ोतरी होगी तो आसानी से बैठ सकेंगे। वहीं राज्यसभा के लिए 300 सीटों का इंतजाम किया गया है जबकि वर्तमान में 250 सीटें हैं।

28 महीने में पूरा हुआ काम

बता दें कि नए संसद भवन में बड़ा लोकसभा चैंबर बनाया गया है जिसमें संसद का संयुक्त सत्र आयोजित होने पर एक साथ 1280 मेंबर बैठ सकेंगे। पीएम मोदी ने 10 दिसंबर 2020 को नए संसद भवन की नींव रखी थी। इस भवन के निर्माण का टेंडर टाटा ग्रुप को दिया गया था और टाइमलाइन और क्वालिटी स्टैंडर्ड का ध्यान रखते हुए समय में प्रोजेक्ट पूरा कर दिया है।

96 साल पुरानी मौजूदा बिल्डिंग

जानकारी के लिए बता दें कि संसद की मौजूदा बिल्डिंग अंग्रेजों ने वर्ष 1927 में बनवाई थी जिसे अब 96 साल पुरानी हो चुके हैं। संसद के बढ़ते कार्यों को देखते हुए मौजूदा बिल्डिंग अपर्याप्त सिद्ध हो रही थी तो लोकसभा और राज्यसभा ने अलग-अलग प्रस्ताव पास करके सरकार से नया संसद भवन बनाने का आग्रह किया था।

1200 करोड़ की लागत से बना नया संसद भवन

खर्च की बात करें तो वैसे तो नए संसद भवन के निर्माण के लिए शुरुआत में 861 करोड़ रुपये के खर्च का अनुमान लगाया गया था लेकिन बाद में लागत बढ़कर 1200 करोड़ रुपये हो गई। अब 28 मई को इस नए संसद भवन का उदघाटन हो जाएगा और फिर धीरे-धीरे संसद का सारा काम इस नए भवन में शिफ्ट कर दिया जाएगा।

28 मई को चुनने की वजह

दरअसल नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए 28 मई का दिन इसलिए चुना गया क्योंकि संयोग से 28 मई को वीर सावरकर की 140वीं जयंती है। उनका जन्म 28 मई 1883 को हुआ था।ऐसे में नए संसद भवन के उद्घाटन के लिए 28 मई को ही चुनने के पीछे कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं। इसके पीछे कुछ लोगों का मानना है कि महाराष्ट्र में वीर सावरकर के लिए सम्मान है इसलिए राज्य की राजनीति में लाभ लेने के लिए जानबूझकर 28 मई को चुना गया है हालांकि कुछ लोग इसे संयोग बता रहे हैं।

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