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पुलिस का फरमान : आम लोगों के जी का जंजाल ई-रिक्शा के संचालन को रोकने का फैसला देखे

कमिश्नरेट पुलिस ने शहर के मुख्य मार्गों को जाम के झाम से मुक्ति दिलाने के लिए किए जाने वाले प्रयासों की कड़ी में पिछले दिनों फैसला लिया ई-रिक्शा के संचालन को रोकने का पुलिस का फैसला शहर के हजारों परिवारों के लिए जहां रोजी-रोटी का संकट लेकर खड़ा हो गया,

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वहीं इसकी वजह से हजारों रोज-मर्रा के लिए बाजारों में आने वाले लोगों के लिए भी फजीहत बन गया। जिलाधिकारी के कार्यालय, नगर निगम दफ्तर, जीडीए, कमिश्नर ऑफिस सहित तमाम सरकारी और गैर-सरकारी प्रतिष्ठानों पर लोगों के आने-जाने की दिक्कतें हो रही हैं।

कमला नेहरू नगर के संयुक्त अस्पताल पर भी दूर-दराज के इलाकों से आने वाले लोग परेशान हैं। इतना ही नहीं छोटे-मोटे रोजगार करने वाले दुकानदारों के लिए भी सामान को लाने-ले जाने की दिक्कत खड़ी है।

रोटी के संकट के साथ फाइंसेसरों की टेंशन

पहले पुराना बस अड्डे से डासना फ्लाई ओवर तक और दो-तीन दिन पहले पुराना बस अड्डे से चौधरी मोड तक अंबेडकर रोड पर इनके संचालन पर रोक लगा दी थी। जाहिर है कि इन रूट पर चलने वाले हजारों ई-रिक्शा चालकों के संचालक और उनके मालिकों के परिवारों पर रोटी का संकट पैदा हो गया।

अचानक लगी इस रोक से हजारों परिवार दो जून की रोटी के लिए परेशान हो गए। सबसे ज्यादा परेशानी तो उन लोगों को होने लगी जिन्होंने पाई-पाई जोड़कर फाइनेंस कराकर इन ई-रिक्शा को खरीदा। उनके सामने परिवार की रोटी के साथ-साथ फाइनेंस कंपनी की किश्त कैसे देंगे ये सवाल भी मुंह बाय़े खड़ा हो गया।

कुछ नेताओं ने की पुलिस की वाहवाही

चंद चापलूस लोगों या यूं कहें प्रशासन के हर फैसले पर वाह-वाह करने वालों ने इस हकीकत को नजरअंदाज करके न सिर्फ कमिश्नरेट के फैसले को सही बताया बल्कि समर्थन के बयान भी जारी कर डाले। उसी का नतीजा रहा कि पुलिस कमिश्नरेट को अपनी चूक का एहसास ही नहीं हुआ।

पुलिस ने आनन-फानन में हाईवे और बस अड्डे से डासना फ्लाई ओवर तक लागू फैसले को अंबेडकर रोड रूट पर भी थोप दिया। परेशान ई-रिक्शा चालक अफसरों से गुहार लगाने पहुंचे। पुलिस ने नहीं सुनी तो प्रशासन यानि डीएम का दरवाजा खटखटाया।

विपक्षियों ने जताया विरोध

इस मामले को लेकर ई-रिक्शा चालकों के समर्थन में पुलिस के फैसले का विरोध समाजवादी पार्टी युवजन सभा और कांग्रेस के नेताओं ने किया। इन लोगों ने ई-रिक्शा चालकों की समस्या को जिलाधिकारी तक पहुंचाया, मगर इसका कोई असर पुलिस के फैसले पर नहीं पड़ा।

सत्तारूढ़ विधायक ने सबसे पहले खोला मोर्चा

योगी सरकाम में भी अफसरशाही के खिलाफ अपने बयानों को लेकर अक्सर सुर्खियों में रहने वाले लोनी के विधायक नंदकिशोर गूर्जर ने इस प्रकरण में सबसे पहले पुलिस के खिलाफ आवाज बुलंद की। नंदकिशोर गूर्जर ने इस फैसले को हिटलरशाही करार देते हुए कमिश्नर ऑफिस पर ताला तक जड़ने की धमकी दे डाली थी। यही नहीं नंदकिशोर ने ये भी कहा था कि प्रतिबंधित रूट पर वे खुद ही ई-रिक्शा लेकर निकलेंगे।

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