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6 एक्शन लेकर कतर के पर कतरेगा भारत, एस जयशंकर ने तैयार कर लिया प्लान!

देखिए कतर की कितनी हिम्मत बढ़ गई कि हमास के नेता को अपने घर में बिठाकर भारतीयों को फांसी की सजा सुना रहा है

कतर ने अपने इतिहास की सबसे बड़ी गलती कर दी है. जिसका पछतावा उसकी आने वाली नस्लें भी करेंगी. ये सवाल 8 भारतीयों का नहीं है. सवाल है उस भरोसे का जो भारत ने कतर पर किया था और बिना किसी लाग लपेट के नुपूर शर्मा को कंडेम किया था. कतर की नारजगी को अहमियत दी थी और कार्रवाई का भरोसा दिया था. लेकिन बदले में कतर ने क्या दिया. इजरायल के समर्थन से नाराज होकर एक ओछी हरकत की. लेकिन क्या ऐसा करके वो बच जाएगा. नहीं बिल्कुल नहीं, भारत सरकार ये 5 एक्शन लेकर कतर के पर कतर देगी.

  • पहला- कतर की आबादी में 25 फीसदी हिस्सा भारतीय समुदाय का है. यह भारत की सॉफ्ट पावर ही है जो कतर जैसे देश की इकोनॉमी से लेकर देश के कई हिस्सोंक की गाड़ी में पहिये का काम कर रही है. वहां अहम पदों पर बैठे भारतीयों का दबाव भी कतर अथॉरिटी को पुनर्विचार के लिए मजबूर कर सकता है.
  • दूसरा- इस मामले में भारत अपनी कूटनीति का फायदा उठा सकता है. मिडिल ईस्ट् में भारत के कई देशों से बहुत गहरे संबंध हैं. सऊदी अरब और यूएई की मध्य्स्थंता से भारत इन नौसेना अधिकारियों की रिहाई संभव करवा सकता है.
  • तीसरा- कतर की जिस अदालत ने बेहद गोपनीय ढंग से इस मामले की सुनवाई की और फैसला दिया, उसे इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में चैलेंज किया जा सकता है. ठीक वैसे ही, जैसे कुलभूषण जाधव के मामले में पाकिस्ताैनी मिलिट्री कोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी. भारत को यहां ICJ से राहत भी मिली थी.
  • चौथा- खाने-पीने की चीजों से लेकर कई जरूरी साजो-सामान के लिए कतर भारत पर ही निर्भर है. इस कारोबारी रिश्तेर का हवाला देकर भी उसे अपना फैसला बदलने के लिए मजबूर किया जा सकता है.
  • पांचवा- अगर सारे अनुरोध और आवेदन कतर की ओर से नामंजूर कर दिये जाएं तो इजरायल वाली नीति अपनाकर भारत अपनी अंगुली टेढ़ी भी कर सकता है. हमास को शरण देने और उसके प्रोपोगेंडा को आगे बढ़ाने के आरोप में इजरायल ने कतर के सरकारी मीडिया चैनल अल-जजीरा पर कार्रवाई की है. अल-जजीरा पर भारत की छवि खराब करने के भी आरोप लगते रहे हैं.
  • छठवां- जिस तरह हाल ही में कनाडा सरकार ने भारत के प्रति अक्रामक रवैया अपनाया है, कुछ-कुछ वैसा ही कतर के केस में भी होता दिख रहा है. नौसेना अफसरों के केस में सुनवाई न होने पर भारत राजनयिक संबंधों की भी बांह मरोड़ सकता है.
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भारत ने कतर को किया था संतुष्ट!

नूपुर शर्मा वाले मामले में कतर के सामने झुककर भारत ने जो गलती की थी, उसी के परिणामस्वरूप कतर को इतना हौसला मिल गया कि वो भारत की बात नहीं सुन रहा है. उसी वक्त भारत को मजबूती से जवाब देना चाहिए था कि ये हमारा घरेलू मामला है.

कतर ने भारत के तत्कालीन उप-राष्ट्रपति वेंकैया नायडू के डिनर को रद्द कर दिया. जो उस समय उस देश के मेहमान थे. वैंकया नायडू को विरोध स्वरूप कतर का दौरा रद्द करके वापस आना चाहिए था. क़तर ने भारत के भगोड़े ज़ाकिर नाइक को अपने देश में सम्मान दिया. फिर भी भारत ने कतर के खिलाफ अपना विरोध नहीं दर्ज कराया.

कतर की हिम्मत क्यों बढ़ी?

अब देखिए कतर की कितनी हिम्मत बढ़ गई कि हमास के नेता को अपने घर में बिठाकर भारतीयों को फांसी की सजा सुना रहा है. कतर के खिलाफ कड़ा एक्शन लेने से जो भारत को एक मुश्किल आ सकती है वो है कि वहां काम रहे भारतीय कामगारों का क्या होगा.

कतर में करीब साढ़े आठ लाख भारतीय काम कर रहे हैं. सबसे बडी बात यह है कि यहां काम कर रहे सभी लोग कुशल कामगार हैं. दुनिया भर में भारत के कुशल कामगारों की भारी डिमांड है. खुद अरब देश के लोग भारत के कामगारों को पसंद करते हैं. सऊदी हो या यूएई हर जगह भारत के कामगार भरे पड़े हैं. कतर के मुकाबले करीब 10 गुना कामगार अरब देशों में है. तो उन्हें छोड़ने से भारत का जो नुकसान होगा वो तो होगा ही कतर का उससे कहीं ज्यादा नुकसान होगा.

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