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केदारनाथ में राहुल और वरुण गांधी की मुलाकात, क्या बदलने वाली है यूपी की सियासत?

राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की केदारनाथ (Kedarnath) की तस्वीरें आपने देखी, भंडारे में भक्तों को प्रसाद परोसते और भीम शिला देखते राहुल को भी आपने देखा लेकिन एक तस्वीर जो सबसे मिस हुई वो थी केदारनाथ के मुख्य पुजारी के घर की तस्वीर, जहां राहुल गाधी ने अपने भाई वरुण गांधी (Varun Gandhi) से मुलाकात की. ये मुलाकात हाल के सियासी घटनाक्रमों में सबसे बड़ा घटनाक्रम माना जा रहा है. जिससे कई सवाल पैदा हुए हैं.

  • पहला- क्या वरुण गांधी कांग्रेस ज्वाइन करने वाले हैं?
  • दूसरा- क्या वरुण गांधी को कांग्रेस यूपी की जिम्मेदारी देगी?
  • तीसरा- अगर वरुण को यूपी मिला तो प्रियंका गांधी का क्या होगा?
  • चौथा- दोनों भाइयों के बीच मुलाकात में क्या बात हुई?
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केदारनाथ-बद्रीनाथ मंदिर समिति के अध्यक्ष अजयेंद्र अजय ने पुष्टि की है कि दोनों भाईयों की मुलाकात वीआईपी हेलीपैड के रास्ते में मुख्य पुजारी निवास में हुई थी. सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस के अंदर इस वक्त पारिवारिक शीत युद्ध चल रहा है. जिसकी काट के लिए राहुल गांधी अपने भाई के पास गए हैं.

क्योंकि बीजेपी से तो राहुल बाद में लड़ेंगे पहले उन्हें अपनी पार्टी से ही निपटना होगा. पिछले कुछ दिनों से प्रियंका खेमा अचानक से काफी सक्रिय हुआ है. उनके चाहने वाला खुलेआम कह रहे हैं कि प्रियंका को कमान दे देनी चाहिए.

लेकिन इस सबके बीच सवाल तो ये भी है कि वरुण गांधी के आने से कांग्रेस को ज्यादा फायदा होगा या कांग्रेस में जाने से वरुण गांधी को ज्यादा फायदा होगा. इसके लिए यूपी में वरुण गांधी की ताकत को समझना होगा.

वरुण गांधी पीलीभीत से चुनाव लड़ते आये हैं और जीतते आये हैं. लेकिन गांधी परिवार से होने के बावजूद भी उन्हें कभी बड़ा पद बीजेपी में भी नहीं मिला. हालांकि उनकी मां मेनका गांधी को जरूर मंत्री पद मिला था लेकिन बाद में वो भी ले लिया गया और पिछले साल भर से वरुण गांधी अपनी ही पार्टी के खिलाफ गाहे बगाहे बोलते रहे हैं. मेनका गांधी भी बीजेपी से बहुत खुश नहीं हैं.

मेनका और कांग्रेस के रिश्ते खराब

लेकिन वरुण के मुकाबले मेनका के लिए कांग्रेस में जाने का डिसीजन लेना मुश्किल होगा क्योंकि आधी रात को मेनका गांधी इंदिरा गांधी का घर छोड़ा था. तब भी बहुत हंगामा हुआ था उस वक्त वरुण गांधी मेनका की गोद में थे. तब अटल बिहारी वाजपेई ने उन्हें सहारा दिया था और तब से लेकर अब तक वो बीजेपी में हैं.

पर अब दो भाई करीब आ रहे हैं तो उसके कई सियासी मायने हैं और हाल फिलहाल के सबसे बड़े सियासी घटनाक्रमों में से एक ये होने वाला है. कुछ दिनों से राहुल गांधी और वरुण गांधी के बयान भी एक जैसे ही लग रहे हैं जैसे- वरण गांधी ने कहा था कि मैं ना कांग्रेस के खिलाफ हूं और ना ही पंडित नेहरू के.

राहुल गांधी मीडिया पर हमेशा हमलावर रहते हैं, वरुण गांधी ने एक बार कहा था कि, टीवी और अकबार केवल हिंदू-मुस्लिम, हिंद-मुस्लिम और जाति-पाति ही कर रहे हैं. भाई को बांटो और भाईको काटो ये राजनीति हम नहीं होने देंगे.

वैसे यूपी चुनाव के वक्त भी अटकलें लगी थी कि वरुण कांग्रसे में जाएंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ. फिर भी वरुण गांधी अपनी ही पार्टी के खिलाफ बोलते रहे. किसान आंदोलन, अग्निवीर योजना, बेरोजगारी और लखीमपुर खीरी कांड को लेकर वरुण का स्टैंड बीजेपी से अलग रहा तो क्या अब वो वक्त आ गया है, जब वरुण गांधी की घर वापसी होगी.

केदारनाथ में राहुल ने क्या-क्या किया?

कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने केदारनाथ में सोमवार को भंडारे में भक्तों को प्रसाद भी परोसा. उन्होंने सोमवार सुबह केदारनाथ मंदिर के पास आदि शंकराचार्य की प्रतिमा के दर्शन किए और वहां पूजा-अर्चना की. कांग्रेस की ओर से मंदिर के पास एक भंडारे का भी आयोजन किया गया. यहां राहुल ने भक्तों और साधुओं को प्रसाद दिया और उनसे आशीर्वाद लिया.

राहुल के साथ सेल्फी लेने की होड़

इस दौरान युवा भक्त राहुल के साथ सेल्फी भी लेते नजर आए. तीर्थ पुरोहित आचार्य संतोष त्रिवेदी ने बताया कि भंडारे’ में लगभग 1,500 भक्त शामिल हुए. उन्होंने बताया कि राहुल गांधी ने दोपहर में साधुओं द्वारा बनाए गए ‘टिक्कड़’ (मोटी चपाती) खाए. उन्होंने ब्लैक टी भी पी और संतों के साथ लंबी बातचीत की.

भीम शिलादेखने भी गए राहुल

राहुल केदारनाथ मंदिर के पीछे ‘भीम शिला’ भी देखने पहुंचे. ऐसा माना जाता है कि जून 2013 में उत्तराखंड में आई बाढ़ के दौरान यह विशाल चट्टान पहाड़ों से नीचे लुढ़क गई थी. यह भी माना जाता है कि इसने मंदिर को आपदा से बचाया था. राहुल गांधी रविवार को केदारनाथ पहुंचे थे. यहां उन्होंने शाम की आरती में भी हिस्सा लिया.

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