SC on Collegium Recommendation : मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के जजों की नियुक्ति पर केंद्र सरकार से नाराजगी जताई। कॉलेजियम को लेकर सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच बहस काफी पुरानी है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अगर सरकार इस समस्या का समाधान नहीं कर सकती तो वह न्यायिक पक्ष पर आदेश पारित कर सकता है।
पीठ ने अपने आदेश में कहा की चार नाम लंबित है और हाल ही में की गई नियुक्तियां भी चयनात्मक है। अगर ऐसा होता है तो सिस्टम में विसंगति पैदा हो सकती है और युवा वकीलों को पीठ में शामिल करना मुश्किल होगा।
मामले की सुनवाई के दौरान पीठ में बार-बार केंद्र सरकार के पिक एंड चूज रवैया पर अपनी चिंता व्यक्त की और पंजाब और हरियाणा का उदाहरण देते हुए कहा कि पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के रूप में पांच अधिवक्ताओं के प्रमोशन की सिफारिश की गई थी। लेकिन केंद्र सरकार ने केवल तीन नाम को मंजूरी दी।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने प्रगति रिपोर्ट की कमी पर अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी से चिंता व्यक्त की है। अटॉर्नी जनरल का कहना है कि सरकार के सामने यह मामला उठाया गया है। हम उम्मीद करते हैं कि ऐसी स्थिति उत्पन्न ना हो कि कॉलेजियम या यह अदालत कोई ऐसा निर्णय ले जो स्वीकार्य न हो।
आपको बता दे की एडवोकेट्स एसोसिएशन बेंगलुरु और NGO सेंटर फॉर पब्लिक इंटरेस्ट लिटिगेशन द्वारा एक याचिका दायर की गई थी। जिसमें सिफारिश पर निर्णय लेने में देरी को अवमानना के तौर पर लेने की मांग की गई है। अब इस मामले पर अगली सुनवाई 20 नवंबर को होंगे
बता दें कि कोर्ट दो मामलों पर सुनवाई कर रही थी, जिनमें नए आदेशों की नियुक्ति और स्थानांतरण के लिए कॉलेजियम द्वारा अनुशंसित नाम को मंजूरी देने में केंद्र सरकार द्वारा देरी करने का आरोप भी शामिल था।