Shamli News : झिंझाना बेसिक शिक्षा विभाग के अफसरों के लिए गरीबों के बच्चों की पढ़ाई के क्या मायने हैं। इस बात का अंदाजा तो सींगरा फार्म के प्राथमिक विद्यालय को देखकर आसानी से लगाया जा सकता है। मानकों की धज्जियां उड़ाकर एक कमरे में पांच अध्यापक सात बच्चों को पढाते है। जहां अध्यापकों की उपस्थिति भी शत प्रतिशत है।
इसके विपरित मन्सूरा, शामली, शामला व पांथुपूरा सहित अन्य स्कूलों मे बच्चों के अनुपात से भी कम अध्यापको की तैनाती की गई। ऐसे मे जिम्मेदारी अधिकारी भी मौन बने हुए है।
अध्यापको के लिये अधिकारियों की उदारता महत्तवपूर्ण है या सरकारी स्कूलों मे पढने वाले गरीब बच्चो के प्रति उदासीनता, सींगरा का प्राथमिक स्कूल सच्चाई उगाजर कर रहा है। सींगरा के प्राथमिक स्कूल मे कुल सात बच्चे पंजीकृत है। जिसमे एक ही छत के नीचे कक्षा एक से पांचवी तक के बच्चे अध्ययन करते है।
स्कूल में रविता प्रधानाध्यापक है। पूजा ,अंशू सहायक अध्यापिका व रेखा रानी, लखेन्द्र सिंह शिक्षक मित्र के पद पर तैनात है। इसके विपरित मन्सूरा के प्राथमिक विद्यालय में बच्चो की संख्या तीन सौ के पार है लेकिन वहां बच्चों के पढाई हेतू 5 शिक्षको की तैनाती की गई।
केवल शामली में तीन अध्यापक 136 बच्चों को पढा रहे है। पांथुपूरा में 90 बच्चों को पढाने के लिए तीन अध्यापकों की तैनाती की गई है। शिक्षा विभाग के उच्चाधिकारियों (Shamli School News) की गैर जिम्मेदार रवैया के कारण अध्यापक मौज कर रहे है और सरकार के उच्च शिक्षा के विजन को धता बताया जा रहा है।
40 बच्चों पर एक शिक्षक के हैं नियम
विभागीय नियमों की बात करे तो चालीस बच्चो पर एक शिक्षक की तैनाती होनी चाहिए। लेकिन सींगरा जैसे प्राथमिक स्कूलों के मामले समाज मे उजागर होते है तो शिक्षा विभाग के जिम्मेदार अधिकारियो की पोल भी आराम से खुल जाती है। जहां शिक्षको की तैनाती होनी चाहिए। वहां वास्तविक रूप से तैनाती नही दी जाती है। ऐसे मे कुछ शिक्षक नौकरी मे मौज कर रहे है।