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Tuesday, June 6, 2023
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Siddaramaiah vs DK Shivkumar: कर्नाटक की सियासत का ‘जादूगर’, जिसने खडगे के आगे से गायब कर दी थी राजा की कुर्सी

Siddaramaiah vs DK Shivkumar: 1990 के दशक में आई फिल्म का एक है ‘वो सिकंदर ही दोस्तों कहलाता हैं, हारी बाज़ी को जीतना जिसे आता हैं’। ये पंक्तिया कर्नाटक के सीएम पद की रेस में डीके शिवकुमार पर भारी पड़े सिद्दारमैया पर बिल्कुल सटीक बैठती हैं। वो अपने सियासी हुनर से एक बार फिर मुख्यमंत्री बनने जा रहे हैं। सिद्धारमैया को कर्नाटक की राजनीति का जादूगर यूं हीं नहीं कहा जाता बल्कि आज आपको उनकी सियासत से जुड़ा ऐसा किस्सा आपको बताने जा रहे हैं जब वो वर्तमान कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे पर भारी पड़े थे।

कर्नाटक की सियासत के ‘जादूगर’ सिद्धारमैया

जिस तरह अशोक गहलोत को राजस्थान की सियासत का जादूगर माना जाता है ठीक उसी तरह की हैसियत सिद्धारमैया कर्नाटक में रखते हैं। लोकदल की टिकट से चुनाव जीतकर अपने पॉलिटिकल करियर की शुरुआत करने वाले सिद्धारमैया सूबे की राजनीति के माहिर खिलाड़ी रहे हैं। उनकी टाइमिंग इतनी जबरदस्त होती है कि विरोधी बस ताकते रह जाते हैं और वो पलक झपकते ही गेंद को बाउंड्री के पार कर देते हैं। उम्र के इस पड़ाव में भी वो पार्टी के सबसे रईस नेता डीके शिवकुमार पर भारी पड़ गए।

सिद्धारमैया का सियासी सफर कैसा!

सिद्धारमैया अपना टारगेट हासिल करने से पहले रुके नहीं। पहले लोकदल फिर जनता दल, इसके बाद जनता दल सेक्युलर (JDS) और फिर कांग्रेस में रहते हुए सिद्धारमैया अच्छे अच्छों पर भारी पड़े। सिद्धारमैया का कद कैसे बढ़ गया कि वो एक-एक करके अपने विरोधियों को आउट करते गए। वो 10 साल पुरानी स्थिति में खड़े होकर विजेता बनकर उभरे हैं। सिद्धारमैया अकेले अपने दम पर पूरी कांग्रेस पार्टी पर तब भारी पड़े जब कर्नाटक कांग्रेस में उनके पास कोई पद भी नहीं था।

खरगे के साथ सिद्धारमैया ने कर दिया था ‘खेल’

कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनने से पहले मल्लिकार्जुन खडगे 2013 के विधानसभा में कर्नाटक में कांग्रेस के मुख्यमंत्री बनने वाले थे लेकिन एचडी देवगौड़ा की पार्टी से निकाले गए सिद्धारमैया ने उनके आगे से सीएम पद की कुर्सी ‘गायब’ कर दी और खुद मुख्यमंत्री बन गए। उस समय कांग्रेस में CM पद के दो बड़े दावेदार थे। जिसमें मल्लिकार्जुन खरगे और सिद्धारमैया थे।

उस समय कांग्रेस हाईकमान ने एके एंटनी, मधुसूदन मिस्त्री, लुईजिन्हो फलेरियो और जितेंद्र सिंह को पर्यवेक्षक बनाकर कर्नाटक भेजा था। उन्होने जीते हुए 121 विधायकों से बात की और सीक्रेट वोटिंग हुई और फिर कांग्रेस आलाकमान ने सीक्रेट वोटिंग के जरिए जो नाम तय किया वो सिद्धारमैया का था।

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