बिहार में सत्ता परिवर्तन हुआ है। नीतीश जबसे NDA में शामिल हुए हैं, NDA में शामिल बाकी पार्टियों की टेंशन बढ़नी लगी है। इस टेंशन की वजह है लोकसभा चुनाव में सीट बंटवारा। बिहार में बीजेपी गठबंधन धर्म का पालन करना चाहती है। इसलिए जीतन राम मांझी, चिराग पासवान, पशुपतिनाथ पारस और उपेन्द्र कुशवाहा की पार्टी को एनडीए में जोड़े रख उन्हें भी सीटें देने के पक्ष में है। हालांकि नीतीश बिहार में कम से कम 16 सीटों पर जेडीयू उम्मीदवार उतारना चाहते हैं।
क्या JDU को कम सीट देना चाहती है BJP?
दरअसल,राजनीति के जानकार बताते हैं कि चिराग पासवान हर हाल में अपनी पार्टी के लिए पांच लोकसभा सीट के अलावा एक राज्यसभा की सीट चाहते हैं। वहीं उपेन्द्र कुशवाहा दो और जीतन राम मांझी एक सीट से कम पर मानने वाले नहीं हैं। ऐसे में चिराग के चाचा पशुपतिनाथ पारस गुट के पांच जीते हुए सांसदों को BJP चुनाव में कैसे साधेगी इसका जवाब अभी भी NDA के घटक दलों को मिल नहीं पा रहा है।
बिहार में BJP ‘मिशन चालीस’ के टार्गेट को हासिल करना चाहती है। BJP इस मिशन में प्रधानमंत्री मोदी के चेहरे को जोरदार तरीके से भुनाने की तैयारी में लगी है। BJP खुद इस लोकसभा चुनाव में ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है इसलिए बीजेपी के लिए एलजेपी के दो गुटों में सामंजस्य बिठाने के अलावा सीटों के बंटवारा बड़ी चुनौती बन गई है। इसलिए इस कवायद में उपेन्द्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक समता पार्टी और हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा को भी साधे रखने के लिए बीजेपी को कम से दो से तीन सीटें आवंटित करना जरूरी जान पड़ रहा है। जाहिर है बीजेपी के लिए वर्तमान परिस्थितियों में साल 2019 की तरह जेडीयू और बीजेपी के बीच 17-17 सीटों पर गठबंधन के अलावा एलजेपी के साथ छह सीटों को शेयर करने वाला फॉर्मूला आसान नहीं दिख रहा है।