Congress in Karnataka: कर्नाटक विधानसभा चुनाव 2023 में कांग्रेस ने ऐतिहासिक जीत हालिस की है। 224 सीटों वाली कर्नाटक विधानसभा में बहुमत का आंकड़ा पार करने कांग्रेस पार्टी ने जीत हासिल की जिसमें पार्टी के वादों का बहुत बड़ा रोल माना जा रहा है। राजनीति के जानकारों के मुताबिक कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों की वजह से कर्नाटक में ‘मोदी मैजिक’ को रोकने में सफलता हासिल की है। बता दें कि कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों के साथ भ्रष्टाचार का भी मुद्दा उठाया और साथ ही राहुल गांधी के किए हुए 5 वादे भी इस चुनाव को जीतने में ‘मील का पत्थर’ साबित हुए। तो चलिए नजर डालते हैं कांग्रेस के उन जीत के वादों पर…
कौन से हैं कांग्रेस के वो वादे?
पहला वादा- कांग्रेस और जीडीएस के विधायकों के बीच हुई मनमुटाव के कारण 2019 में पार्टी को सत्ता गंवानी पड़ी थी। इसके बाद सत्ता में आई बीजेपी ने येदियुरप्पा को कुर्सी से हटा कर बसवराज बोम्मई को सीएम बनाया लेकिन चुनाव नजदीक आते ही सीएम बसवराज बोम्मई के खिलाफ जनता में असंतोष देखने को मिला जिसका फायदा कांग्रेस को इस बार मिला है।
दूसरा वादा- इस बार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने स्थानीय मुद्दों को तवज्जो दी और भारी बहुमत से जीत हासिल की। इन स्थानीय मुद्दों पर बीजेपी कहीं न कहीं कांग्रेस से पिछड़ती हुई नजर आई।
तीसरा वादा- कर्नाटक में चुनाव प्रचार का बड़ा जिम्मा मल्लिकार्जुन खड़गे और डी के शिवकुमार के पास था। बता दें कि खगड़े कर्नाटक से ही आते हैं और इस चुनाव में उन्होंने प्रदेश में अपना डेरा जमा रखा था। उन्होंने पार्टी को मजबूत करने का काम किया।
चौथा वादा- कर्नाटक जीत का श्रेय गांधी परिवार को भी जाता है जिन्होंने अलग तरीके से चुनाव प्रचार में हिस्सा लिया। वो स्थानीय लोगों से मिलते रहें, जिनमें प्रियंका गांधी कभी किसी रेस्टोरेंट में खाना खाते नजर आईं तो कभी राहुल गांधी लोकल लोगों से मिलते दिखे।
पांचवा वादा- इस बार के चुनवा में कांग्रेस अपने गारंटी कार्ड को हर दरवाजे तक पहुंचाने में सफल रही है। पार्टी ने एक साथ गारंटी कार्ड का ऐलान न करके धीरे-धीरे कई फेज में जारी किया था जिसने वोटरों को खींचने का काम किया।
छठा वादा- कांग्रेस में अभी भी कई नेता अपने आलाकमान से संतुष्ट नहीं है जैसे सचिन पायलट लेकिन कर्नाटक विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने अपनी इस कमी को सबके सामने उजागर नहीं होने दिया।
सातवां वादा- इस बार चुनाव में जीत को कांग्रेस का ‘मास्टर स्ट्रोक’ कहा जा सकता है। क्योंकि कांग्रेस ने 40 पर्सेंट कमीशन के नाम पर बोम्मई सरकार को घेरना शुरू किया था और भ्रष्टाचार का मैसेज जनता तक पहुंचाने में कांग्रेस कामयाब रही।
आठवां वादा- बजरंग दल और पीएफआई को बैन करने को लेकर भी कांग्रेस ने सख्त रुख दिखाया था। बजरंग दल पर पाबंदी लगाने की बात से कांग्रेस मुस्लिम वोटर्स को रिझाने में कामयाब रही। इसके साथ ही बेरोजगारी के मुद्दे पर महिलाओं और युवाओं का वोट बटोरने में सफल रही।