शबरी की आस्था ने प्रभु श्रीराम को उनकी कुटिया तक ले आयी। एक ऐसी ही आस्था धनबाद में देखनो को मिली। जहां 85 वर्षीय सरस्वती अग्रवाल रामलाल के इंतजार में 30 साल से मौनव्रत पर हैं। 22 जनवरी को अयोध्या में प्रभु श्रीराम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा है। इसी दिन प्रभु राम की अस्था में लिन इस शबरी का राम नाम के शब्द से मौन व्रत टूटेगा।
प्रभु राम के चरणों में अपना जीवन समर्पित करनेवाली सरस्वती अग्रवाल का अधिकतर समय अयोध्या में ही बीतता है। वे बेहद खुश हैं और लिख कर बताती हैं, ‘जीवन धन्य हो गया। रामलला ने मुझे प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने के लिए बुलाया है। मेरी तपस्या, साधना सफल हुई। 30 साल के बाद मेरा मौन ‘राम नाम’ के साथ टूटेगा।
दिसंबर 2021 के अंतिम सप्ताह में ही सरस्वती अग्रवाल को श्रीराम मंदिर, अयोध्या से प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होने का निमंत्रण आया है। निमंत्रण मिलने से इनका पूरा परिवार खुश है। 8 जनवरी को इनके भाई इन्हें अयोध्या लेकर जायेंगे। परिवार के किसी अन्य सदस्य को समारोह में शामिल होने की अनुमति नहीं है। राम जन्म भूमि न्यास और श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास के शिष्य मनीष दास व शशि दास अयोध्या धाम रेलवे स्टेशन पर सरस्वती अग्रवाल की अगवानी करेंगे। रेलवे स्टेशन से वे सीधे स्वामी जी के आश्रम पत्थर मंदिर छोटी छावनी जायेंगी। वहां इनके लिए कमरा बना हुआ है, जहां ये 2 महीने से अधिक रहेंगी।
1992 में स्वामी नृत्य गोपाल दास से मिलीं थी मौन धारण की प्रेरणा
सरस्वती अग्रवाल मई 1992 में अयोध्या गयी थीं। वहां ये राम जन्म भूमि न्यास के प्रमुख महंत नृत्य गोपाल दास से मिलीं। उन्होंने इन्हें कामतानाथ पहाड़ की परिक्रमा करने का आदेश दिया। आदेश मिलने के बाद ये चित्रकूट चली गयीं। साढ़े सात महीने कल्पवास में एक गिलास दूध पीकर रहीं। साथ ही रोजाना कामतानाथ पहाड़ की 14 किमी की परिक्रमा की. परिक्रमा के बाद अयोध्या लौटीं। 6 दिसंबर 1992 को ये स्वामी नृत्य गोपाल दास से मिलीं। उनकी प्रेरणा से मौन धारण किया। संकल्प लिया कि जिस दिन राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा होगी, उसी दिन मौन तोड़ेंगी।
जबकि माता सरस्वती देवी जी 8 जनवरी 2024 को धनबाद से अयोध्या धाम के लिए रवाना होंगे वहां राम नाम शब्दों का उच्चारण करेंगे मां की स्वर खुलने के इंतजार में पूरा परिवार हर्ष और खुशी की उल्लास में झूमेंगे।