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Tuesday, June 6, 2023
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Uddhav vs Shinde: बदल जाएगा महाराष्ट्र विधानसभा का गणित या अयोग्य हुए 16 विधायक उड़ा देंगे नींद ?

Uddhav vs Shinde: महाराष्ट्र की शिंदे सरकार के लिए आज का दिन बेहद अहम है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट 2022 के महाराष्ट्र राजनीतिक संकट को लेकर फैसला सुनाने वाला है। कोर्ट शिवसेना के उद्वव ठाकरे और एकनाथ शिंदे धड़े की दोतरफा याचिकाओं पर फैसला सुनाएगा। मामले पर चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ महाराष्ट्र की राजनीतिक संकट से संबंधित याचिकाओं पर फैसला सुनाएगी, जिसके कारण उद्वव ठाकरे के नेतृत्व वाली तत्कालीन महा विकास अघाड़ी गठबंधन सरकार गिर गई थी।

कोर्ट ने फैसला रखा था सुरक्षित

बता दें कि संविधान पीठ में जस्टिस एम. आर. शाह, न्यायमूर्ति कृष्ण मुरारी, जस्टिस हिमा कोहली और जस्टिस पी.एस. नरसिम्हा शामिल हैं। जिन्होने 16 मार्च, 2023 को मामले से जुड़ी याचिकाओं पर 9 दिन तक सुनवाई पूरी करने के बाद अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था।

अदालत ने सुनवाई के आखिरी दिन कहा थी कि वो उद्धव ठाकरे की सरकार को कैसे बहाल कर सकती है, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री ने सदन में बहुमत परीक्षण का सामना करने से पहले ही इस्तीफा दे दिया था। गौरतलब है कि ठाकरे गुट ने सुनवाई के दौरान न्यायालय से आग्रह किया था कि वो 2016 के अपने फैसले की तरह उनकी सरकार बहाल कर दे जिस तरह अरुणाचल प्रदेश (Arunachal Pradesh) के मुख्यमंत्री नबाम तुकी की सरकार को बहाल कर दिया था।

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विधायक अयोग्य हुए तो क्या होगा?

अब अगर सुप्रीम कोर्ट का फैसला शिंदे सरकार के खिलाफ जाता है तो उसके लिए संकट पैदा हो जाएगा क्योंकि 16 विधायक अयोग्य होने से विधानसभा का नया समीकरण बन जाएगा।

गौरतलब है कि महाराष्ट्र विधानसभा में कुल सीटें 288 हैं और अगर 16 विधायक अयोग्य होते हैं तो ये संख्या 272 रह जाएगी। ऐसे में बहुमत का आंकड़ा 137 होगा और मौजूदा सरकार की स्ट्रेंथ 165 है। कोर्ट के फैसले के बाद अगर 16 विधायक अयोग्य होते हैं तो ये संख्या 149 हो जाएगी ।

इसके बाद अगर बाकी 24 विधायक उद्धव के पास लौट आते हैं तो सरकार अल्पमत में हो सकती है और शिंदे गुट के पास सिर्फ 125 विधायक ही रह जाएंगे। इस तरह से अगर फ्लोर टेस्ट के हालात बने तो सरकार में बने रहने के लिए बीजेपी की नजर एनसीपी की संख्या पर टिक जाएगी।

याद हो कि पिछले साल जून में शिंदे और 39 विधायकों ने अविभाजित शिवसेना के नेतृत्व के खिलाफ बगावत की थी, जिसके परिणामस्वरूप पार्टी बंट गई और राज्य में एमवीए सरकार गिर गई। राज्य में शिंदे ने बीजेपी के साथ गठजोड़ कर लिया और राज्य की सत्ता की कमान संभाल ली। अब देखना होगा कि कोर्ट से फैसले से किसे राहत मिलती है और किसका समीकरण बिगड़ता है।

 

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