UP Nikay Chunav: उत्तर प्रदेश के निकाय चुनावों में परचम लहराने से ट्रिपल इंजन की सरकार बन गई है। लोकसभा और विधानसभा के बाद निकाय चुनावों में भी बीजेपी ने झंडा गाड़ा तो पीएम मोदी ने सीएम योगी समेत बीजेपी कार्यकर्ताओं को बधाई दी। अब निकाय चुनाव के नतीजों का विश्लेषण हो रहा है जिसमें सपा को लगे तगड़े झटके की असल वजह का खुलासा हुआ है। सपा को 2022 वाली गलती दोहराना भारी पड़ गया और बीजेपी ने भरपूर फायदा उठाया।
इस तरह बिगड़ा सपा का समीकरण
निकाय चुनाव के नतीजों से गदगद बीजेपी ने राज्य के तेजी से विकास का वादा किया है। बीजेपी ने एक तरफ सपा प्रत्याशियों में सेंधमारी की तो बसपा ने मुस्लिम कार्ड खेलकर सपा की साइकिल की हवा निकाल दी। नगर निगम में क्लीन स्वीप और नगर पालिका की 199 सीटों में से बीजेपी 94, सपा 39, बसपा 16, कांग्रेस 4 और 46 निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है। वहीं नगर पंचायत की 544 सीटों में बीजेपी 202 ,सपा 89,बसपा 39, कांग्रेस 16 और 98 सीटों पर निर्दलीयों ने कब्जा जमाया है।
सपा ने दोहराई 2022 वाली गलती
इस चुनाव ने सपा को 2022 वाली गलती दोहराना भारी पड़ा जिसका बीजेपी को फायदा मिला। दरअसल सपा ने कई ऐसे उम्मीदवारों को खड़ा किया था जो निकाय चुनाव के समीकरण में कहीं से भी फिट नहीं बैठ रहे थे। जैसे बरेली में सपा ने जिसे अपना कैंडिडेट बनाया उसने नामांकन वापस ले लिया और सपा को मजबूरी में निर्दलीय प्रत्याशी को समर्थन देना पड़ा। रायबरेली में भी कुछ ऐसा ही देखने को मिला जहां नगर पालिका सीट पर बगावत का खामियाजा सपा ने उठाया।
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हर सीट पर बाबा की अलग रणनीति
सपा को मात देने के लिए सीएम योगी ने ऐसा चक्रव्यूह रचा जिसे किसी भी पार्टी के लिए भेद पाना मुश्किल रहा। बीजेपी की रणनीति हर सीट के जातीय समीकरण को ध्यान में रखते हुए तय हुई। सबसे पहले 2017 में जीती गई नगर निगम की 14 सीटों पर ध्यान दिया गया कि कहां, कौन भारी पड़ सकता है। बीजेपी की एक रणनीति दूसरे दलों के प्रभावशाली उम्मीदवारों को अपने पाले में लाना था। इसी तरह से नगर पालिका में भी दूसरी पार्टियों के नेताओं को बीजेपी में शामिल करवाकर पार्टी ने जीत का जो टारगेट रखा और हासिल कर लिया।
योगी का जीत और जातीय समीकरण का फॉर्मूला
इस बात को नकारा नहीं जा सकता है कि बीजेपी की लैंड स्लाइड विक्ट्री में सीएम योगी की बड़ी भूमिका रही है। उन्होंने ताबड़तोड़ जनसभाएं कीं, सरकार की उपलब्धियां गिनाते रहे। इस माइंड सेट से इतर बीजेपी ने ग्रामीण इलाकों में भी खासी पैठ बनाई। इस धमाकेदार जीत में अहम भूमिका सवर्ण मतदाताओं की भी रही है। शहरी इलाकों में ब्राह्मण, वैश्य, कायस्थ, पंजाबी मतदाता की भूमिका रही है। विपक्षी दल आरोप लगाते हैं कि बीजेपी सवर्णों की राजनीति करती है हालांकि इन आरोपों को काउंटर करते हुए योगी ने प्रदेश की कानून व्यवस्था और माफिया राज के खात्मे पर फोकस किया।
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