UP Nikay Chunav Result: यूपी नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की 17 मेयर पदों पर जीत से योगी के कद को और बढ़ा दिया है। ये ऐसा पहला चुनाव है जिसमें योगी उत्तर प्रदेश में अपने बूते चुनाव प्रचार कर रहे थे जबकि बीजेपी की पूरी केन्द्रीय टीम कर्नाटक में हाथ पैर मार रही थी लेकिन कर्नाटक में एंटी इन्कमबेंसी को दूर करने में असफल साबित रही। योगी इस सबके बीच सूबे में खुद चुनाव प्रचार की कमान थाम कर ट्रिपल इंजन की सरकार के लिए प्रयासरत थे और इस प्रयास में योगी की जीत ने पार्टी के अंदर और बाहर कई गुणा कद बढ़ा दिया है।
ट्रिपल इंजन की सरकार का नारा देकर बीजेपी ने नगर निकाय चुनाव में प्रचंड जीत हासिल कर ली है। इस जीत के बाद यूपी में लोकसभा में क्लीन स्वीप के इरादे से बीजेपी मैदान में उतरने को लेकर ताल ठोक रही है और सीएम योगी के नेतृत्व में बीजेपी को मिली ये जीत योगी के लिए कई मायनों में काफी अहम मानी जा रही है।
योगी का कद और कैसे बढ़ा
साल 2017 में योगी जब यूपी में सीएम बने थे तब वहां का विधानसभा चुनाव पीएम मोदी के चेहरे पर लड़ा था। इस विधानसभा में बीजेपी की जीत का पूरा श्रेय पीएम नरेन्द्र मोदी को मिला था और इसके ठीक कुछ ही महीनों बाद निकाय चुनाव की जीत में भी क्रेडिट नरेंद्र मोदी और बीजेपी को ही मिला था। पीएम मोदी के नाम की वो लहर थी जिसके सहारे साल 2014 और 2017 के चुनाव को जीतने में कामयाब रही थी लेकिन साल 2023 के नगर निकाय चुनाव में बीजेपी की भारी जीत योगी के नेतृत्व की जीत कही जा रही है।
वैसे देखा जाए तो साल 2022 का विधानसभा चुनाव भी योगी के चेहरे पर ही लड़ा गया था लेकिन पीएम मोदी का धुआंधार प्रचार और बीजेपी के कई दिग्गजों की रणनीति असरदार कारक कही जाती है हालांकि साल 2023 के निकाय चुनाव की जीत इसलिए अहम है क्योंकि चुनाव प्रचार की कमान योगी के हाथों में थी और बीजेपी की पूरी केन्द्रीय टीम कर्नाटक विधानसभा चुनाव में ताबड़तोड़ प्रचार में जुटी थी।
पार्टी में बड़ी ताकत बनकर कैसे उभरे योगी
साल 2017 में 16 नगर निगमों में बीजेपी 14 और बसपा 2 पर चुनाव जीती थी लेकिन इस चुनाव में 17 सीटों पर बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है। नगर पालिका और नगर निकाय चुनाव में भी बीजेपी की जीत वाकई तारीफ के लायक है। योगी के कई मजबूत फैसलों को जनता ने खूब सराहा और इसलिए योगी द्वारा कहे गए माफियाओं के खिलाफ शब्द और अतीक-अशरफ के खिलाफ कार्रवाई ने योगी की लोकप्रियता में चार चांद लगा दी है।
इस चुनाव में योगी ने नगर निकाय चुनाव में 50 से ज्यादा सभाएं की तो वहीं अखिलेश यादव 9 और मायावती पूरे प्रचार के दरमियान क्षेत्र से दूर रहीं हैं। चुनाव प्रचार में उन वादों को पूरा करने की तरफ लोगों का ध्यान खींचते रहे जो विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान लोगों के बीच कह रहे थे। विधानसभा चुनाव में भी जनता का भरोसा जीतने में योगी कायम रहे थे।
बुलडोजर और इनकाउंटर ने योगी का कद कैसे बढ़ाया
तकरीबन साढ़े 4 करोड़ मतदाताओं ने नगर निगम, शहरी निकाय,नगर परिषद और नगर पंचायत में हिस्सा लिया इसलिए इन मतदातओं के बीच योगी का बुलडोजर एक्शन के साथ माफियाओं के खिलाफ चलाया गया एक्शन जनता ने खूब पसंद किया है। योगी ने विकास के साथ साथ कड़े प्रशासक के तौर पर पहचान बनाई है तो ज़ाहिर है कि माफियाओं को मिट्टी में मिलाने वाली की बात हो या घर पर चलने वाला बुल्डोजर हर तरह से लोगों की नजरों में योगी को लेकर कठोर प्रशासक की छवी बनने का काम किया है।
BJP में विरोधियों को बौना साबित करने में कैसे सफल रहे CM योगी?
बता दें कि अखिलेश यादव को लगातार चुनाव में हराने के बाद योगी आदित्यनाथ ने उन्हें ताबड़तोड़ पटखनी दी है। आजम खां के गढ़ स्वार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के छानवे के उपचुनाव में बीजेपी गठबंधन की जीत कोई नई बात नहीं है। इससे पहले सपा के गढ़ आजमगढ़ और रामपुर में योगी अपने नेतृत्व में पटखनी दे चुके हैं। वैसे तो केशव प्रसाद ओबीसी के बड़े नेता हैं लेकिन पिछले विधानसभा चुनाव में सिराथु में मिली हार ने उनके बढ़ते कद को योगी के सामने छोटा कर दिया है। इस सबके बीच योगी आदित्यनाथ की लोकप्रियता बीजेपी कार्यकर्ताओं ने चुनाव प्रचार में दूसरे राज्यों देखी है। पीएम मोदी के बाद सीएम योगी सबसे ज्यादा डिमांड में रहते हैं।