Pakistan Indus Water Treaty: 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने बड़ा कदम उठाते हुए सिंधु जल संधि को निलंबित करने का फैसला किया। इस हमले में 26 भारतीय नागरिकों की मौत के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक हुई थी, जिसमें कई बड़े फैसले लिए गए। भारत के इस फैसले से पाकिस्तान में गहरी चिंता फैल गई है। पाकिस्तान ने इसे “युद्ध की कार्रवाई” करार देते हुए भारत से मानवीय आधार पर रहम की अपील की है।
Pakistan के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ की अध्यक्षता में 24 अप्रैल को नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (NSC) की बैठक हुई। इसमें तीनों सेनाध्यक्ष भी मौजूद रहे। बैठक के बाद पाकिस्तान ने वाघा बॉर्डर बंद करने, भारतीय नागरिकों को 30 अप्रैल तक देश छोड़ने का आदेश देने और सभी द्विपक्षीय समझौते निलंबित करने जैसे कठोर कदम उठाए। साथ ही पाकिस्तान ने भारत के सिंधु जल संधि निलंबन के फैसले को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन बताते हुए खारिज कर दिया।
पाकिस्तानी सरकार ने बयान जारी कर कहा कि सिंधु नदी प्रणाली उसके 240 मिलियन नागरिकों की जीवन रेखा है। भारत के फैसले से पाकिस्तान की 80% कृषि भूमि और जलविद्युत उत्पादन को खतरा है। पाकिस्तान ने भारत से अपील की कि मासूम नागरिकों, किसानों और बच्चों को सजा न दी जाए और मानवीय आधार पर पानी की आपूर्ति को जारी रखा जाए।
पूर्वPakistan राजनयिक अब्दुल बासित समेत कई पाकिस्तानी नेताओं ने चेतावनी दी है कि जल प्रवाह रोकने से गंभीर परिणाम हो सकते हैं, कुछ ने तो परमाणु खतरे तक की आशंका जताई है। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय मंचों, विशेष रूप से विश्व बैंक से हस्तक्षेप की मांग की है ताकि सिंधु जल संधि के प्रावधानों का पालन सुनिश्चित कराया जा सके।
भारत के इस कदम से दोनों देशों के बीच तनाव चरम पर पहुँच गया है। पाकिस्तान आतंकवाद से किसी भी संबंध से इंकार कर रहा है और खुद को हमले से अलग बता रहा है। ऐसे में अब देखना होगा कि भारत अपने फैसले पर कायम रहता है या क्षेत्रीय स्थिरता को ध्यान में रखते हुए कोई नया रास्ता निकालता है।