Household Saving : मुसीबत कभी बता कर नहीं आती और आज के दौर में कब किसकी नौकरी चली जाए, गंभीर बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती होना पड़ जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता। ऐसे में घर का पूरा बना बनाया बजट बिगड़ जाता है। इस तरह की परेशानियों से बचने के लिए आपको खास और प्रॉपर प्लानिंग की जरूरत होती है। इस दौरान 67:33 का फॉर्मूला ऐसे में काफी काम आ सकता है।
किसी भी नौकरीपेशा व्यक्ति का परिवार केवल उसकी सैलरी पर निर्भर करता है। अगर छंटनी के कारण उसकी नौकरी चली जाए तो दूसरी नौकरी मिलने में भी एक या दो महीने का समय लग जाता है। ऐसे सैलरी पर निर्भर परिवार को काफी नुकसान झेलना पड़ता है।
ऐसे में इन हालातों से निपटने के लिए सभी को हमेशा तैयार रहना चाहिए। अगर आप भी नौकरीपेशा हैं तो आपको भी 67:33 के फॉर्मूले के बारे में पता होना चाहिए। अगर आपने ठीक से समझकर इस फार्मूले को अप्लाई कर लिया, तो इस तरह की कठिन परिस्थितियों में आपके घर की आर्थिक स्थिति जल्दी खराब नहीं होगी।
क्या है 67:33 का फॉर्मूला?
इस फॉर्मूले के मुताबिक आपको अपनी सैलरी के दो हिस्से 67:33 के रेश्यो करने होंगे। इसमें से आपको 33 फीसदी वाले हिस्से की बचत करनी होगी। उदाहरण के तौर पर, अगर आपकी सैलरी 30 हजार रुपए महीना है तो इसमें से आपको अपनी सैलरी को 20,100 और 9,900 रुपए के हिस्सों में बांटना होगा। इसमें से आपको 9,900 वाले हिस्से को बचत के तौर पर निकलने होंगे।
फाइनेंशियल एक्सपर्ट्स की मानें तो 67:33 का ये फॉर्मूला (Household Saving) बहुत काम का है। इसकी मदद से आप अपने और परिवार के लिए इमरजेंसी फंड तैयार कर सकते हैं।
फालतू खर्चों की बजाय बचत पर फोकस करें
नौकरी के शुरुआती समय में फालतू के खर्चों की जगह बचत करके पहले खुद के लिए इमरजेंसी फंड बनाने पर ज्यादा फोकस करना चाहिए। इसके अलावा अगर आपको नौकरी के दौरान इन्सेंटिव या किसी तरह का बोनस मिलता है, तो उसे खर्च करने की बजाय इमरजेंसी फंड में डाल दें।
12 महीने का इमरजेंसी फंड बनने के बाद आप इसे अपने सेविंग्स अकाउंट में जमा कर सकते हैं या फिर ज्यादा रिटर्न पाने के लिए फंड के 50 प्रतिशत हिस्से को लिक्विड फंड्स या किसी अन्य जगह पर निवेश कर सकते हैं।