Petrol Vehicles : भारत जैसी विकासशील अर्थव्यवस्था के लिए पेट्रोल की महत्वपूर्ण प्रकृति के कारण खपत के साथ-साथ आयात में भी बढ़ोत्तरी होगी। अगर कच्चे तेल का आयात (Crude Oil Import) बढ़ता है, तो भारत में पेट्रोल की दर भी बढ़ेगी।
हालाँकि, प्रमुख निवेश रिफाइनिंग क्षेत्र और अन्वेषण के लिए किए गए हैं, जो वैश्विक के बजाय आंतरिक आपूर्ति के लिए स्थिर होंगे। बता दें कि पिछले साल भारत ने लगभग 220 मिलियन मीट्रिक टन कच्चे तेल या पेट्रोल उत्पादों की खपत की। भारत में ईंधन की खपत लगातार बढ़ रही है।
एक रिपोर्ट के मुताबिक मई 2023 में साल के अंत तक यह अब तक के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। वहीं इस फेस्टिव सीजन के दौरान भारत में यात्री वाहनों (Petrol Vehicles) की बिक्री आसमान छू गई और मिलियन का आंकड़ा पार कर गई।
80 फीसदी भारतीयों की पहली पसंद पेट्रोल वाहन
आंकड़ों के अनुसार, 80 फीसदी से ज्यादा भारतीय नागरिकों ने पेट्रोल वाहनों (Petrol Vehicles Demand) का विकल्प चुना है। इससे भविष्य में ईंधन वाहन देश के लिए मजबूत मांग और खपत का संकेत देता है। पेट्रोल वाहनों की अधिकतम खरीदारी 35 वर्ष से कम आयुवर्ग के व्यक्तियों द्वारा की गई है।
EV के बावजूद ईंधन वाहनों में वृद्धि का अनुमान
बढ़ती फंडिंग और ईएमआई भुगतान के सुविधाजनक विकल्प से इलेक्ट्रिक वाहनों की उपलब्धता के बावजूद ईंधन के वाहन खरीद में वृद्धि का अनुमान है। अन्य विकल्पों की उपलब्धता पेट्रोल की खपत को प्रभावित करने में विफल रही है और भारत में पेट्रोल की कीमतें मजबूत पकड़ में हैं।