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Friday, October 18, 2024
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Driving Licence making rule changed: केंद्र सरकार ने जारी किए ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नए नियम, अब नहीं होगी ड्राइविंग टेस्ट की जरूरत

Driving Licence New Rules: अगर आप भी कार या बाइक ड्राइव करते हैं, तो ये खबर आपके लिए जरूरी है। केंद्र सरकार ने अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के नियमों में बदलाव किए हैं। अब आपको ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ के चक्कर नहीं काटने पड़ेंगे। हम आपको बताते है कि अब ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आपको क्या करना होगा।

डीएल के लिए ड्राइविंग टेस्ट जरूरी नहीं

केंद्र सरकार की ओर से ड्राइविंग लाइसेंस के नियमों में किए गए संशोधन के अनुसार अब आपको ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए आरटीओ में जाकर किसी तरह का ड्राइविंग टेस्ट देने की जरूरत नहीं होगी। आपको बता दें, ये नियम केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय द्वारा अधिसूचित किए गए हैं और ये नियम लागू भी हो गए हैं। सरकार के इस कदम से ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आरटीओ की वेटिंग लिस्ट में पड़े मामले कम होंगे और लोगों को भी राहत मिलेगी।

ड्राइविंग स्कूल में जाकर ट्रेनिंग लेनी चाहिए

केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय की ओर से दी गयी जानकारी के अनुसार ड्राइविंग लाइसेंस बनवाने के लिए टेस्ट के लिए इंतजार नहीं करना पड़ेगा। अब आप किसी भी ड्राइविंग लाइसेंस के लिए किसी भी मान्यता प्राप्त ड्राइविंग ट्रेनिंग स्कूल में रजिस्ट्रेशन करवा सकते हैं। इसके लिए आपको उस ड्राइविंग स्कूल से ट्रेनिंग लेनी होगी और टेस्ट पास करना होगा। इसके बाद स्कूल की ओर से सर्टिफिकेट दिया जाएगा, जिसके आधार पर ड्राइविंग लाइसेंस आवेदक को जारी किया जाता है।

ये हैं नए नियम

सड़क और परिवहन मंत्रालय की ओर से प्रशिक्षण केंद्रों के लिए kuch दिशा-निर्देश और शर्तें भी लागू की गई है। इसमें प्रशिक्षण केंद्रों के क्षेत्र से लेकर प्रशिक्षक की शिक्षा तक शामिल है।

1. प्राधिकृत अभिकरण यह तय करेगा कि दुपहिया, तिपहिया एवं हल्के मोटर वाहनों के प्रशिक्षण केन्द्रों के पास कम से कम एक एकड़ भूमि हो, जहां मध्यम एवं भारी यात्री माल वाहनों या ट्रेलरों के केन्द्रों के लिये दो एकड़ भूमि की आवश्यकता होगी।

2. ड्राइविंग स्कूल में ट्रेनर को एडमिशन से पहले कम से कम 12वीं कक्षा पास होना जरूरी है और इसके साथ ही कम से कम पांच साल ड्राइविंग का अनुभव भी होना चाहिए।

3. ड्राइविंग स्कूल में ट्रेनर के लिए मंत्रालय ने एक शिक्षण पाठ्यक्रम भी निर्धारित किया है। हल्के मोटर वाहन चलाने के लिए पाठ्यक्रम की अवधि अधिकतम 4 सप्ताह होगी, जो 29 घंटे तक चलेगी। इस सिलेबस को 2 भागों में बांटा जाएगा, जिसमें सिद्धांत और व्यावहारिक शामिल होंगे।

4. इसके अलावा ट्रेनर को बुनियादी सड़कों, ग्रामीण सड़कों, राजमार्गों, शहर की सड़कों, रिवर्सिंग और पार्किंग, ऊपर और नीचे ड्राइविंग आदि पर गाड़ी चलाना सीखने के लिए 21 घंटे खर्च करने पड़ते है। सिद्धांत भाग पूरे पाठ्यक्रम के 8 घंटे को कवर करेगा, इसमें समझ शामिल होगी सड़क शिष्टाचार, रोड रेज, यातायात शिक्षा, दुर्घटनाओं के कारणों को समझना, प्राथमिक चिकित्सा और ड्राइविंग ईंधन दक्षता।

 

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