नई दिल्ली। रोजाना के बढ़ते खर्च अब शहरी लोगों पर अधिक भारी पड़ रहे हैं। नई जीएसटी लागू होने से खाने पीने की चीजों के रेट दोगुने हो गए हैं जिसकी वजह से भविष्य के लिए बचत करना मुश्किल हो गया है। बढ़ती मंहगाई के कारण पैसे रोजमर्रा के लिए खर्च हो रहा हैं। रिपोर्ट के अनुसार, बढ़ती मंहगाई के चलते शहरी उपभोक्ताओं पर 76 फीसदी अधिक खर्च बढ़ गया है ऐसे वे भविष्य के लिए करने वाली बचत को या तो छोड़ने को मजबूर या फिर अभी के लिए टाल रहे हैं। कंटार के ग्लोबल इश्यू बैरामीटर के अनुसार, रोजाना के खर्च के लिए सबसे ज्यादा 76 फीसदी की मार ग्रामीणों के बजाय शहरी लोगों पर अधिक पड़ रही है। ईंधन, खाने पीने की चीजों के बढ़ते दामों ने बैंकों के बचत खातों को खाली कर दिया है।
शहरी क्षेत्रों में बढ़ी महंगाई की मार
रिपोर्ट के अनुसार लोग मोबाइल फोन, कारों जैसी अधिक खर्च वाली चीजों का ज्यादा उपयोग करने से बच रहे है। भविष्य में बच्चों की शिक्षा के लिए की गई बचत को आज ही खर्च करने को मजबूर है। शहरी लोगों का जीवन बढ़ती महंगाई के चलते और ज्यादा मुश्किल हो रहा है क्योंकि शहरों में खाने पीन से लेकर रोज की जरूरतों को पूरा करने वाली सभी चीजें मोल खरीदते हैं इसीलिए महंगाई की ये मार शहरों पर अधिक पड़ रही है।
बिजनेस बढ़ाने के लिए नहीं है पैसे
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 35 प्रतिशत जनता की बढ़ते खर्च और महंगाई के चलते आर्थिक स्थिति खराब हो रही है। वहीं, 46 प्रतिशत लोगों का मानना है कि इस समय महंगाई के कारण देश की आर्थिक स्थिति और खराब होती जा रही है। बढ़ती महंगाई के कारण अब उनके पास बड़ी योजनाओं के लिए खर्च करने के पैसे नहीं है क्योंकि वे केवल रोज के ही खर्च पूरा कर पा रहे है। यही कारण है कि यहां चिंताएं और ज्यादा बढ़ गई है।