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बुरे दौर से गुजर रही है IT कंपनी Wipro! सैकड़ों कर्मचारियों की हो सकती है छंटनी, क्या है वजह, जानें

भारत में आईटी इंडस्ट्री पिछले कुछ समय से बेहद खराब स्थिति में है। यहां तक ​​कि बड़ी आईटी कंपनियां भी मुनाफे और राजस्व के मामले में उम्मीदों पर खरी नहीं उतर पा रही हैं। कोरोना काल में भी चमकने वाली दिग्गज कंपनियां अब नकसान झेल रही हैं। कंपनियों द्वारा खास तौर पर लागत कम करने की योजना बनाई जा रही है। भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी टाटा कंसल्टेंसी सर्विसेज (TCS) समेत इंफोसिस, विप्रो (Wipro) और टेक महिंद्रा (Tech Mahindra) सभी के मार्जिन में गिरावट देखी जा रही है। हालाँकि नौकरी छोड़ने की दर में सुधार हो रहा है, लेकिन यह उल्लेखनीय है कि कर्मचारियों की संख्या में गिरावट भी आ रही है। इस कार्यकाल में केवल एचसीएल (HCL) टेक्नोलॉजीज में कर्मचारियों की संख्या थोड़ी बढ़ी।

विदेश के बाद अब भारत में भी लटकी छंटनी की तलवार

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इसके अलावा बीते एक साल में दिग्गज आईटी कंपनियों ने पर्याप्त भर्तियां नहीं निकालीं। कैंपस भर्तियों से भी दूरी बनाई है और अब छँटनी से कर्मचारियों में हड़कंप मच हुआ है। अब तक छँटनी विदेशी टेक कंपनियों में होती रही है, लेकिन अब यह भारत में भी फैल गई है। विप्रो उन आईटी कंपनियों में से एक है जिसने हाल के दिनों में कोई बड़ा मुनाफा नहीं कमाया है।

तीसरी तिमाही में उठाना पड़ा भारी नुकसान

भारत की चौथी सबसे बड़ी आईटी कंपनी विप्रो (WIPRO) ने एक चौंकाने वाला फैसला लिया है। कंपनी ने अक्टूबर-दिसंबर (Q3) तिमाही में सबसे कम लाभ मार्जिन दर्ज किया। इसके साथ ही कंपनी ने सुधारात्मक उपाय तेज कर दिये हैं। मुनाफ़ा 16 प्रतिशत दर्ज किया गया जो अन्य आईटी कंपनियों की तुलना में बेहद कम था। टीसीएस (TCS) मार्जिन 25 प्रतिशत, इंफोसिस मार्जिन 20.5 प्रतिशत और एचसीएल टेक की लाभप्रदता 19.8 प्रतिशत थी।

कैपको कंसल्टिंग का करेगी अधिग्रहण

इसके साथ ही कंपनी लागत कम करने के लिए छंटनी की योजना बना रही है। मामले से परिचित लोगों ने कहा कि सैकड़ों मध्य-स्तर के कर्मचारियों को वापस घर भेज दिया जाएगा। मालूम हो कि जनवरी की शुरुआत से ही प्रभावित कर्मचारियों को छंटनी की सूचना भेज दी गई है। विप्रो 2021 में 1.45 बिलियन डॉलर में यूके स्थित कैपको कंसल्टिंग (कैपको) का अधिग्रहण करेगी। कोरोना के बाद ये कारोबार धीमा पड़ गया और कंपनी के लिए नई मुश्किलें शुरू हो गईं। मौजूदा अनिश्चितता के बीच अन्य कंपनियां भी विप्रो की राह पर चलने की संभावना है।

विप्रो, जिसने हाल ही में अपनी तीसरी तिमाही की घोषणा की, ने समेकित आधार पर शुद्ध लाभ में 12 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की। 2694 करोड़. शुद्ध आय 4.4 प्रतिशत घटकर रु. 22,205 करोड़. प्रति शेयर रु. केवल 1 घोषित लाभांश। सौदे $3.8 बिलियन के थे, जो पिछली तिमाही से थोड़ा अधिक है।

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