Gig and Platform Labor Act : असंगठित क्षेत्र के मजदूरों, अमेज़न, फ्लिपकार्ट, जोमैटो-स्विगी, ओला-ऊबर जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों (e-commerce companies in india) में पार्ट टाइम काम करने वाले लोगों को मोदी सरकार बड़ी खुशखबरी देने वाली है। दरअसल केंद्र सरकार गिग और प्लेटफार्म वर्कर कानून (Labour laws) लाने जा रही है। यह कानून लागू होने के बाद इन मजदूरों और पार्ट टाइम नौकरी करने वाले लोग भी ईएसआई और दुर्घटना बीमा (ESI and Accidental Insurance) का लाभ उठा सकेंगे।
आपको बता दें कि इन बड़ी बड़ी ई-कॉमर्स कंपनियों में 4 से 5 घंटे डिलीवरी बॉय और ड्राइवर का काम करने वाले लोगों (Labour laws) को अब कर्मचारी राज्य भविष्य निधि योजना (Employees State Provident Fund Scheme) के तहत सभी तरह के लाभ मिलेंगे।
10 करोड़ लोगों को मिलेगा लाभ
ई-श्रम पोर्टल के मुताबिक देश में गिग वर्कर्स यानी फ्रीलांस या थर्ड पार्टी के कॉन्टेक्ट पर काम करने वाले मजदूरों की संख्या इस समय 10 करोड़ के आसपास है। रोजाना 2 से 4 घंटे काम करने वाले इन मजदूरों को फिलहाल किसी तरह का लाभ नहीं मिलता। ये कानून लागू होने के बाद इन मजदूरों को ईपीएफ और ईएसआईसी (EPF and ESIC) जैसी सुविधाओं का लाभ मिलना शुरू हो जाएगा।
अगले बजट सत्र में पेश हो सकता है ये कानून
अमेरिका की तर्ज पर अब भारत में भी ऐसे मजदूरों को ईएसआई के साथ-साथ एक्सीडेंटेल बीमा का लाभ दिया जाएगा। बता दें कि हाल ही श्रम मंत्रालय (labor Ministry) ने एक ड्राफ्ट तैयार कर फाइनेंशियल अप्रूवल के लिए वित्त मंत्रालय (Finance Ministry) के पास भेजा है। माना जा रहा है कि संसद के अगले बजट सत्र में इस कानून को मोदी सरकार पेश कर सकती है।
घंटे के हिसाब से मिलेगा बीमा का लाभ
गिग एंड प्लेटफॉर्म लेबर एक्ट (Gig and Platform Labor Act) आने के बाद इन लोगों को कई तरह की सुविधाएं मिलेंगी। इस नए कानून में यह बताया गया है कि अगर कोई शख्स इन ई-कॉमर्स कंपनियों में महीने में कम से कम 90 घंटे, 120 घंटे या 160 घंटे काम करता है तो उसे ईएसआई और एक्सीडेंटल बीमा का लाभ घंटों के काम के हिसाब से तय होगी।
देश के कई राज्यों में इस कानून की मांग
बता दें कि पिछले साल राजस्थान सरकार ने भी अपने राज्य में गिग वर्कर्स अधिनियम 2023 कानून लागू किया था। महाराष्ट्र में भी ऐसा कानून लागू होने की बात हो रही है। दिल्ली में भी ओला-उबर जैसी कंपनियों के ड्राइवरों ने इसको लेकर दिल्ली सरकार से मांग की थी।