National Single Window System: अब तक 16 राज्यों को सिंगल विंडो सिस्टम से जोड़ा जा चुका है, जल्द ही कई और राज्य जोड़े जाएंगे। सितंबर तक 5 राज्य सिंगल विंडो सिस्टम से जुड़ जाएंगे। सिंगल विंडो सिस्टम लागू होने से वाहनों के रजिस्ट्रेशन, टैक्स जमा करने, बिक्री-खरीद, चालान निपटान आदि के लिए अलग-अलग काउंटरों पर जाने की जरूरत नहीं होगी. ये सभी काम एक ही काउंटर पर होंगे. एक पोर्टल पर केंद्र व राज्य से मल्टीपल क्लीयरेंस लेने की सुविधा आसानी से मिल जाएगी। इसके लिए 700 से ज्यादा केंद्रीय मंजूरी मिल सकती है, इनकी संख्या बढ़ाई जा रही है। अब तक 13764 प्रस्तावों को मंजूरी मिल चुकी है।
9 राज्यों में हुई शुरुआत
इसकी शुरुआत 9 राज्यों में हो चुकी है। जिसमें गुजरात, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा, राजस्थान, असम और चंडीगढ़ शामिल हैं। इसके अलावा 2 और राज्यों में तमिलनाडु और पंजाब में प्रक्रिया पूरी की जा रही है। इसके साथ ही पश्चिमसिंगल विंडो की मदद से सिंगल क्लिक एप्लीकेशन की सुविधा मिलेगी। इस प्लेटफॉर्म पर एथेनॉल, लेदर स्कीम काम कर रही है। नई योजनाओं के लिए अलग से पोर्टल की जरूरत नहीं है। सिंगल विंडो सिस्टम के तहत केंद्र सरकार के 32 विभागों में से 24 को एनएसडब्ल्यूएस से जोड़ा गया है।
बंगाल, झारखंड, बिहार और गोवा एडवांस स्टेज पर हैं। इसके लिए 23 आवेदन प्राप्त हुए थे, जिनमें से 7 स्वीकृत हो चुके हैं।
सिंगल विंडो सिस्टम की तर्ज पर काम कर रही कंपनी
देश की कई कंपनियां सिंगल विंडो सिस्टम की तर्ज पर काम कर रही हैं। जिसमें हिंदुस्तान पेट्रोलियम, इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, गेल इंडिया, रिलायंस ग्रुप, अदानी ग्रुप, टाटा ग्रुप, अल्ट्राटेक सीमेंट, सन फार्मा, हनीवेल ऑटोमेशन, फिलिप्स इंडिया, महिंद्रा सीरो, मारुति रिसाइक्लिंग, डीसीएम श्रीराम, अंबुजा सीमेंट, हायर अप्लायंसेज, घरमपुर शामिल हैं। चीनी मिल, पैनासोनिक की बजाज शुगर।
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