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भारतीय रिजर्व बैंक Fintech सेक्टर का समर्थन करता है, लेकिन ग्राहक हित सर्वोपरि है: शक्तिकांत दास

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बीते दिन भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने जानकारी साझा करते हुए कहा कि केंद्रीय बैंक जहां फिनटेक (Fintech) सेक्टर का समर्थन करता है, वहीं वह ग्राहकों के हितों की रक्षा के साथ-साथ वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए भी प्रतिबद्ध है। वहीं, पेटीएम (Paytm) पेमेंट्स बैंक के खिलाफ लिए गए फैसले पर गवर्नर शक्तिकांत ने RBI की बोर्ड मीटिंग के बाद मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि जब कोई निर्णय लिया जाता है, तो यह बहुत सोच-विचार और विचार-विमर्श के बाद लिया जाता है। फैसले यूं ही नहीं लिए जाते… इन्हें गंभीरता से लिया जाता है।

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उन्होंने आगे कहा कि, मैं यह स्पष्ट कर दूं कि पेटीएम पेमेंट्स बैंक के खिलाफ की गई कार्रवाई की कोई समीक्षा नहीं की गई है। इस दौरान उन्होंने कहा कि आरबीआई फिनटेक (Fintech) को बढ़ावा देता है और बढ़ावा देता रहेगा, लेकिन उनके लिए ग्राहक हित और वित्तीय स्थिरता सर्वोपरि है और फिनटेक क्षेत्र के लिए आरबीआई के समर्थन के बारे में कोई संदेह नहीं होना चाहिए।

डिजिटल ढ़ाचे का किया जिक्र

RBI गवर्नर डिजिटल ढ़ाचे का जिक्र करते हुए कहा कि भारत ने डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने में अग्रणी भूमिका निभाई है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अब मॉरीशस और श्रीलंका की तेज भुगतान प्रणाली के साथ यूपीआई का लिंकेज लॉन्च किया है। इसके साथ ही श्रीलंका तीसरा सार्क देश है जिसके साथ भारत ने यूपीआई के संबंध में ऐसी व्यवस्था की है। अन्य देश नेपाल और भूटान हैं। मॉरीशस इस तरह की व्यवस्था पर सहमत होने वाला पहला अफ्रीकी देश है।

कम सरकारी उधारी का भी अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है

हांलाकि, जब सरकार राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के रास्ते पर चलती है, तो इसका मतलब है कि उधार को एक निश्चित सीमा के भीतर रखा जाता है। कम सरकारी उधारी का मतलब है कि निजी क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए बहुत अधिक संसाधन उपलब्ध हैं। उन्होंने कहा कि कम उधारी से बांड पैदावार में भी मदद मिलती है।

उन्होंने कहा कि कम सरकारी उधारी का भी अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है और मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने में मदद मिल सकती है और भारत की आर्थिक गतिविधियों की गति लगातार मजबूत बनी हुई है और इसीलिए हमने पिछले हफ्ते कहा था कि वित्त वर्ष 2025 में जीडीपी वृद्धि दर 7 फीसदी रह सकती है। इसके साथ ही सरकार को इस पर निर्णय लेना है कि देश के लिए कर्ज का स्थायी स्तर क्या है। उन्होंने कहा कि अब भी विकसित अर्थव्यवस्थाओं का ऋण-जीडीपी अनुपात विकासशील अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कहीं अधिक है।

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