नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने कर्मचारियों को बड़ी राहत देते हुए पेंशन के एक मामले में बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सरकार को दी ई-सेवाओं के बदले कर्मचारी पेंशन का हकदार होगा। भले ही उसकी सेवा का कार्यकाल 8 वर्ष ही हो और पेंशन का बकाया आठ सप्ताह के अंदर देने का आदेश दिया। कोर्ट ने ये भी कहा कि चौथी श्रेणी के कर्मचारियों को अब आठ वर्ष के कार्यकाल पर भी पेंशन दी जाएगी
दरसअल, यह मामला हिमाचल प्रदेश का है जहां एक महिला प्रार्थी ने अपने पति की सरकार को दी गयी सेवाओं के बदले पेंशन की मांग की थी। जिस पर कोर्ट ने आदेश दिया कि 8 वर्ष तक सेवाएं देने वाले भी पेंशन के हकदार होंगे। कोर्ट ने हिमाचल के सुंदर सिंह बनाम राज्य सरकार मामले में सुनवाई करते हुए कहा, “5 साल से अधिक कोई दिहाड़ीदार अपनी सेवा देता है,तो उसे एक वर्ष की नियमित सेवा के बराबर ही माना जाएगा। यदि कर्मचारी की सेवा 20 फीसदी और नियमित सेवा के 8 वर्ष कार्यकाल बनता है तो वह पेंशन का हकदार है। उसे 10 साल के बराबर मानकर न्यूनतम पेंशन दी जाएगी।” प्रदेश की एकल पीठ और खंडपीठ के फैसलें में विरोध उत्पन्न हो गया था जिस कारण मामले की सुवाई को तीन जजों की पीठ के समक्ष रखा गया लेकिन प्रार्थी ने हाईकोर्ट के खिलाफ सुप्रीमकोर्ट में चुनौती दी।
क्या है पूरा मामला ?
दरअसल, प्रार्थी का हिमाचल सरकार में सिंचाई एवं जनस्वास्थ्य विभाग में चौथी श्रेणी का कर्मचारी था जो दिहाड़ीदार के रुप में काम कर यहा था। जनवरी 2,000 से उसने अपनी नियमित सेवा दी। 6 साल 2 माह की नियमित सेवा देने के बाद वह सेवानिवृत्त हो गया। इतने कार्यकाल की सेवा पर विभाग ने पेंशन देने से मना कर दिया। प्रार्थी ने राज्य हाईकोर्ट का रुख किया तो वहा भी निराशा ही मिली। इसके बाद सुप्रीम कोर्टर में याचिका दायर की जिसके बाद अन्त में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला प्रार्थी के पक्ष में सुनाया।
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