अफसरों से साठगांठ कर बड़े बिल्डर दिवालिया बने कैसे ?
-राहुल शर्मा-
गौतमबुद्धनगर(यूपी)। बसपा सरकार के वक्त गाजियाबाद और बुलंदशहर को काटकर नया जनपद बने गौतमबुद्धनगर में लोगों की जमीनें खरीदकर यहां बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स लगाने वाले बिल्डरों ने जमकर पैसा कमाया। उस दौरान यहां तैनात रहे अफसर से लेकर चपरासी तक के ऊपर खूब नोटों की बारिश हुई। सरकारों ने भी इस इलाके को विकसित करने और यहां रोजी-रोजगार के अवसर लाने की गरज से खूब कंपनियों को छूट दी। विकास पर भी भर-भर कर पैसा खर्च किया, मगर देखिए सबने कमाया, मगर प्रदेश सरकार के राजस्व को लाखों करोड़ का चूना लग गया। सरकार को लगी चपत कितनी बड़ी है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि अकेले यहां बड़े-बड़े प्रोजेक्ट्स चलाने वाले नामचीन बिल्डर ही सरकारी राजस्व का हजारों करोड़ रूपया पी गए। पहले भर-भर कर कमाई की, मगर जब बारी सरकारी राजस्व चुकाने की हुई तो तत्कालीन अफसरों से साठ-गांठ करके खुद को दिवालिया घोषित कराकर सरकार को ही चपत लगा दी।
ये बिल्डर बने दिवालिया
सबसे पहले बात कर लेतें हैं उन बिल्डर्स की जिन्हें आप सोशल साईट्स पर भी सर्च करेंगे तो उनके आज भी हजारों नहीं बल्कि लाखों करोड़ के अलग-अलग प्रोजेक्ट्स आपको मिल जाएंगे मगर सरकारी रिकॉर्ड में वे दिवालिया घोषित हो चुके हैं। इन दिवालिया घोषित होने वाले बिल्डरों में आम्रपाली, सुपरटेक, लॉजिक्स और थ्रीसी जैसे बिल्डर हैं जिन्होंने दस्तावेजों में खुद को दिवालिया दर्शाकर सरकार को हजारों करोड़ के राजस्व का पलीता लगा दिया है।
सरकारी चपत लगाने को बने कंगाल
सूत्रों की मानें तो सरकारी रिकॉर्ड में तकरीबन कई दर्जन बड़े और छोटे बिल्डर हैं जिनपर सरकार के राजस्व का लाखों करोड़ का बकाया है। देनदारियों से बचने के लिए या यूं कहें कि सरकारी पैसा मारने के लिए इन लोगों ने खुद को दिवालिया घोषित कराकर बड़ा गोलमाल कर दिया। इनमें सबसे पहला नाम आम्रपाली बिल्डर का है। इसके बाद दिवालिया बने बड़े बिल्डरों की लिस्ट में दूसरा नाम सुपरटेक बिल्डर का तो तीसरा नाम लॉजिक्स बिल्डर का है। इस सूची में चौथा नाम आता है थ्रीसी बिल्डर का।
किस पर कितना बकाया
नोएडा प्राधिकरण के इन बिल्डरों पर बकाये वाली सूची में सबसे ऊपर नाम है आम्रपाली ग्रुप का। इस ग्रुप पर साढे चार हजार करोड़ रुपये से भी ज्यादा सरकारी बकाया है। रिकॉर्ड में नोएडा प्राधिकरण का ये सबसे बड़ा बकाएदार है। इस कड़ी में दूसरा नाम है सुपरटेक बिल्डर का। सुपरटेक पर नोएडा प्राधिकरण के तीन हजार करोड़ से ज्यादा बकाया हैं। इस लिस्ट में तीसरा नाम लॉजिक्स बिल्डर का है। लॉजिक्स बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण का 11 सौ करोड़ से ज्यादा रुपया बकाया है। इसी कड़ी में थ्रीसी बिल्डर का भी नाम है। थ्रीसी बिल्डर पर नोएडा प्राधिकरण का 600 करोड़ रुपया बकाया है। ये और इनके जैसे बहुत सारे बिल्डर ऐसे हैं जिन्होंने तत्कालीन अफसरों से साठ-गांठ करके खुद को दिवालिया घोषित कराया और प्रदेश सरकार को हजारों करोड़ की चपत लगा दी।
नोएडा प्रोजेक्ट में घाटा दिखा,पी गए हजारों करोड़
यूं तो इन नामचीन बिल्डरों के नोएडा के बाहर अनगिनत प्रोजेक्ट्स चल रहे हैं, मगर स्थानीय अफसरों से साठगांठ करके केवल यहां वाले प्रोजेक्ट्स को घाटे वाला दिखाकर इन बिल्डरों ने दिवालिया दर्शाकर सरकार को चपत लगाकर अपने हजारों रुपये सीधे कर लिए। निजी लाभ के चलते अफसरों ने भी इन बिल्डरों की करतूत पर पर्दा डाल दिया।
कई सफेदपोशों ने भी कमाई की
सरकार को हजारों करोड़ का चूना लगाने वाले इन बिल्डरों ने सिर्फ प्राधिकरण के अफसरों को ही चढ़ावा नहीं चढ़ाया, बल्कि तत्कालीन जनप्रतिनिधियों और सत्ता में मौजूद सफेदपोशों को भी भर-भर कर चढ़ावा चढ़ाया। जिसकी वजह से हजारों नहीं बल्कि लाखों करोड़ के प्रोजेक्ट चलाने वाले ये बिल्डर मौज काट रहे हैं और नुकसान सरकार को झेलना पड़ा है।