Kanpur News: फेस्टिवल सीजन आते ही एक तरफ कारोबारियों ने अपनी शोप्स में प्रोडक्ट स्टॉक करने शुरू कर दिए हैैं। दूसरी तरफ ई-कॉमर्स कंपनियां भी ग्राहकों को लुभावने ऑफर दे रही हैैं। इन सबके बीच साइबर फ्रॉड करने वाले भी एक्टिव हो गए हैं। साइबर ठगों ने ओरिजनल ई-कामर्स कंपनियों की मिलती-जुलती साइट्स बनाकर ठगी का नया पैतरा निकाला है। आनलाइन शोपिंग करते समय अगर आपने जरा सी लापरवाही की तो आपको चपत लगनी तय है। ऐसे शातिरों पर शिकंजा कसने के लिए साइबर सेल की टीम ने भी कमर कस ली है। फेस्टिवल से पहले अवेयरनेस प्रोग्राम चलाया जा रहा है।
फिशिंग लिंक से रहें सावधान
ऑनलाइन शॉपिंग करते समय अक्सर ग्राहकों को उनके ऑर्डर की स्थिति के बारे में अपडेट करने के लिए ट्रैकिंग लिंक भेज दिए जाते हैं। कई बार हैकर्स ऐसी लिंक का फायदा उठाकर नकली लिंक (फिशिंग लिंक) भेजते हैं। इन पर क्लिक करते ही बैंक अकाउंट पूरी तरह से खाली हो जाता है। कंपनी से आने वाले मैसेज को ध्यान से पढ़ें। यदि किसी संदेश में वेयरहाउस का पता अपडेट करने या अन्य किसी जानकारी अपडेट करने की रिक्वेस्ट की गई है तो मैसेज की सत्यता जरूर चेक करें।
डाटा चोरी भी अहम प्रॉब्लम
साइबर ठग ऑनलाइन शॉपिंग करने वाले ग्राहकों का डेटा जमा करते हैं। शातिर, ऑर्डर करने के चंद घंटों के अंदर फिशिंग लिंक भेज देते हैं। देखने में तो असली कंपनी के लिंक जैसा ही लगता है। जिससे ग्राहकों को धोखा हो जाता है।
लिंक जरूर करें चेक
साइबर ठग ग्राहकों की ऑनलाइन गतिविधियों पर नजर रखते हैं। फेक लिंक भेजकर उन्हें फसाते हैं। ग्राहक इन लिंक पर क्लिक कर अपनी निजी जानकारी अपडेट करते हैं। जिससे ठगी का शिकार हो जाते हैं। किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले उसे चेक करें। यूआरएल और डोमेन नेम को ध्यान से देखें। यह पक्का करें कि वह असली कंपनी से मेल खा रहा है या नहीं।यह भी ध्यान रखें कि ऑर्डर करने के कितने घंटे बाद आपके पास लिंक पहुंचा है। अगर यह सामान्य समय से पहले आया है तो सावधानी बरतें।
फेक वेबसाइट्स का भी खतरा
साइबर ठगों द्वारा कई बार ब्रांडेड कंपनियों की नकली वेबसाइट बनाई जाती हैं। जिन पर ग्राहक अपनी निजी जानकारी अपडेट कर देते हैं। इन वेबसाइट्स के माध्यम से भी ठगी की जाती है।
आंख बंद कर भरोसा न करें
गूगल अपनी प्रॉयरिटी पर जो यूआरएल दिखा रहा है तो उस पर आंख बंद कर भरोसा न करें। वे कहते हैैं कि इस बात का विशेष ध्यान रखें कि किसी भी हालत में अननोन नंबर पिक न करें। अगर कोई कॉल आती है तो उसे डिसकनेक्ट कर दें। साइबर शातिर नए-नए पैैंतरों से लोगों को ठगने की फिराक में लगे हैैं। कुछ गैैंग क्राइम ब्रांच के रडार पर भी हैैं।