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Chanakya Niti: गृहस्थ जीवन को स्वर्ग बनाने के चार उपाय, गलत काम करने से बचें

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Chanakya Niti: मानव जीवन उतार-चढ़ाव से भरा है। सुख हो या गम, यह ज्यादा दिनों तक नहीं टिकता। अगर अभी दु:ख है तो कुछ समय बाद सुख भी आएगा, जबकि सुख है तो दुख के लिए भी तैयार रहना चाहिए। आचार्य (Acharya Chanakya) चाणक्य ने अपने नीति शास्त्र में कहा है कि मानव जीवन में सुख-दुख कर्म का फल है, इसे बदला नहीं जा सकता। हालांकि कुछ उपायों को अपनाकर दुखों को दूर कर जीवन को अवश्य ही सुखी बनाया जा सकता है।

मन की शांति

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि आप कितनी भी बड़ी समस्या से घिरे हों, लेकिन उसका समाधान हमेशा शांति से पाया जा सकता है। चाणक्य के अनुसार शांति से बड़ी कोई तपस्या नहीं है। लोगों के पास बहुत सारी सुविधाएं होने के बाद भी उनका मन अशांत रहता है, जिसे वे नियंत्रित नहीं कर सकते, ऐसे में वे एक शांतिपूर्ण वातावरण की तलाश करते हैं। इसलिए जब भी आपका मन अशांत हो तो आप शांत रहकर अपने मन को नियंत्रित कर सकते हैं।

दया की भावना

आचार्य चाणक्य कहते हैं कि अगर आपके पास करुणा है, तो आप गलत नहीं कर सकते। न ही आप किसी के साथ अन्याय कर सकते हैं। क्योंकि दयालुता हमेशा बुराई को करने से रोकती है। जिन लोगों में करुणा होती है, उनका मन पाप करने की ओर नहीं जाता। साथ ही वे किसी जरूरतमंद की मदद कर सकते हैं।

संतोष का गुण

आचार्य के अनुसार, किसी व्यक्ति में संतुष्टि या संतोष का गुण उसकी सबसे बड़ी संपत्ति और शक्ति है। आचार्य ने एक सफल जीवन से बढ़कर एक संतुष्ट जीवन को माना है। क्योंकि सफलता हमेशा दूसरों के द्वारा मापी जाती है जबकि संतुष्टि अपने मन और दिमाग से महसूस की जाती है। इन्द्रियों पर नियंत्रण रखने वाले के लिए यह धरती स्वर्ग बन जाती है।

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