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Thursday, October 17, 2024
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Ghantaghar Ramlila :कला, धर्म और समाज का अद्वितीय संगम है सुल्लामल रामलीला, अंग्रेजों के दौर से गाजियाबाद में चली आ रही ये परम्परा

Ghaziabad: घंटाघर स्थित ऐतिहासिक रामलीला एक बार फिर रामलीला मैदान में आयोजित करवाई जा रही है.  ‘सुल्लामल रामलीला’ शहर की एक पुरानी सांस्कृतिक धरोहर है। यह रामलीला न केवल धार्मिक भावनाओं का प्रतीक है, बल्कि समाज को मनोरंजन के साथ-साथ जीवन के आदर्शों का भी संदेश देती है। अंग्रेजों के जमाने से चली आ रही इस रामलीला में हर साल हजारों लोग जुटते हैं, और यहां की खासियत यह है कि इसके कलाकार अलग-अलग पेशों से जुड़े हु हैं।

कौन निभाएगा किरदार?

इस बार भी राम, लक्ष्मण, और हनुमान जैसे प्रमुख पात्र निभाने वाले कलाकार अपनी रोजमर्रा की जिंदगी में शिक्षक, इंजीनियर और व्यवसायी हैं। संवाददाता से बातचीत में इन कलाकारों ने कहा कि रामलीला में भाग लेना उनके लिए केवल अभिनय नहीं, बल्कि एक आध्यात्मिक और सामाजिक जिम्मेदारी है। वे भगवान राम के आदर्शों को जीवित रखने और समाज में फैलाने के उद्देश्य से इस कला में योगदान देते हैं।

कया है धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व ?

सुल्लामल रामलीला सिर्फ धार्मिक आयोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। ऐसे आयोजन समाज की परंपराओं, संस्कारों और मूल्यों को जीवित रखते हैं। यहां लोग केवल रामायण की कहानियां देखने नहीं आते, बल्कि अपने धर्म और संस्कृति से जुड़ने और उनके मूल्यों को समझने के लिए आते हैं।

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रामलीला से समाज को संदेश

राम, लक्ष्मण और हनुमान के किरदार निभाने वाले कलाकारों का मानना है कि इस मंच के माध्यम से वे समाज को ईमानदारी, त्याग और सेवा के आदर्शों का संदेश देते हैं। उनकी यह पहल समाज के हर वर्ग से सराहना पा रही है।रामलीला मैदान में भारी भीड़ जुटी रहती है, जहां लोग अपनी धार्मिक आस्था के साथ-साथ मनोरंजन और सीख लेने के लिए आते हैं। इस आयोजन ने गाजियाबाद के सांस्कृतिक इतिहास में एक विशेष स्थान बना लिया है और हर साल यह पहले से अधिक लोकप्रिय होता जा रहा है। सुल्लामल रामलीला एक ऐसा मंच है, जहां कला, धर्म और समाज तीनों का अद्वितीय संगम देखने को मिलता है।

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