Sperm Count: 57 बच्चों के एक अमेरिकी पिता काइल गोर्डी ने न्यूयॉर्क पोस्ट को दिए एक इंटरव्यू में बताया कि स्पर्म काउंट बेहतर होता है। पिछले 9 साल से स्पर्म डोनेट कर रहे इस शख्स का दावा है कि उसे अच्छी नींद आती है और तनाव उसकी जिंदगी से दूर रहता है। इस शख्स का कहना है कि वह रोजाना करीब 10 घंटे सोता है और जितना हो सके तनाव से दूर रहने की कोशिश करता है। यही वजह है कि उनका स्पर्म काउंट बेहतर होता है।
आपको बता दें कि कई शोधों में यह बात भी सामने आई है कि तनाव या टेंशन किस तरह पुरुष के स्पर्म काउंट को प्रभावित करता है। स्पर्म काउंट न केवल मानव प्रजनन क्षमता का संकेतक है बल्कि पुरुषों के स्वास्थ्य का भी संकेतक है। इसकी कम संख्या के कारण वृषण कैंसर और पुरानी बीमारियों का खतरा होता है।
तनाव कैसे प्रभावित करता है?
शायद आप नहीं जानते कि तनाव के कारण अक्सर लोग गलत आदतें जैसे धूम्रपान, गलत आहार, शराब पीना आदि अपना लेते हैं। ये टेस्टोस्टेरोन के स्तर को प्रभावित करते हैं, जो शुक्राणुओं के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाते हैं। शोध दल ने चूहों को 30 दिनों तक रोजाना 1.5 से 3 घंटे तक तनाव में रखा। रिसर्च में सामने आया कि डेली स्पर्म काउंट में भारी गिरावट आई है।
प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों पर बुरा प्रभाव
जब तनाव का स्तर बढ़ता है तो शरीर से एक प्रकार का खराब रसायन निकलता है जो प्रतिक्रियाशील ऑक्सीजन प्रजातियों (आरओएस) को नष्ट कर देता है, जिससे कोशिकाएं नष्ट हो जाती हैं। ये आरओएस शुक्राणु की संरचना को प्रभावित करते हैं और इस तरह अंडों के आपस में जुड़ने की प्रक्रिया को बाधित करते हैं।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
आजकल व्यस्त जीवन शैली, उच्च तनाव स्तर, कम पोषक आहार और शारीरिक गतिविधि जैसी चीजें भी बांझपन का कारण बनती हैं। काम, शिक्षा या बेहतर जीवनशैली से संबंधित तनाव अवचेतन रूप से शरीर में हार्मोनल परिवर्तन का कारण बन रहा है, जिससे पुरुष बांझपन प्रभावित हो रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि तनाव के कारण पुरुषों के स्पर्म काउंट कम हो रहे हैं।