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Thursday, February 6, 2025
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Adoption Leave In India: भारत में अब महिलाओं को मिलेगी adoption leave, जानें क्या होता है एडॉप्शन लीव

Adoption Leave In India: भारत में महिलाओं के काम करने के तरीके में लगातार कई तरह के बदलाव हो चुके है, इसके साथ ही महिलाओं को प्राइवेट और सरकारी दोनों ही क्षेत्रों में कई तरह की सुविधाओं मिल रही है और पुरानी योजाना में बदलाव उपलब्ध कराई जा रही हैं.  हाल ही में एक और बदलाव आया है. अब तक आपने महिलाओं के लिए मैटरनिटी लीव(maternity leave) का नाम सुना हो जो महिलाओं को पेंगनेंसी के दौरा और डीलिवरी के बाद मिलती थी. लेकिन आज हम आपको एडॉप्शन लीव (adoption leave) के बारे में बताने जा रहे है. 
 दरअसल, हिमाचल प्रदेश में बच्चा गोद लेने पर अब से महिलाओं को 6 महीने की छुट्टी मिलेगी. इस खबर से राज्य में खुशी की दौड़ पड़ी है, वहीं बता दें कि इस नीति  को राज्य के मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर की अध्यक्षता में एक बैठक में मंजूरी मिली. बैठक के दौरान, इस पर काफी चर्चा की गई और फिर इस चीज को मंजूरी दे दी गई. आइए जानते हैं कि एडॉप्शन लीव (adoption leave) क्या है और ये क्यों जरूरी है ?

Adoption leave India:  प्रेगनेंसी के दौरान मिलने वाली मैटरनिटी लीव के बारे में तो आपने सुना ही होगा. लेकिन शायद आपको यह जान कर हैरानी हो सकती है कि अब बच्चा गोद लेने पर भी महिलाओं को 6 महीने की छुट्टी मिलेगी.

एडॉप्शन लीव (adoption leave) क्या है?
एडॉप्शन लीव, उन माता-पिता के लिए छुट्टियों का प्रावधान है जिन्होंने बच्चा गोद लिया हो. बता दें कि ये लीव बच्चे के घर में आने के साथ ही शुरू हो जाती है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश में इस नियम के अनुसार बच्चा घर में आने के 6 महीने बाद तक महिलाओं को छुट्टी दी जाएगी. फिलहाल यह स्कीम देश के सभी राज्यों में लागू नहीं किए गए है. वही कई देशों में भी नहीं है. इस स्कीम के अनुसार महिला कर्मचारियों को उनके दूसरे साथियों जो कि नेचुरल पेरेंट्स हैं, उनकी तरह ही अपने बच्चे को पालने का मौका मिलता है. हिमाचल प्रदेश सरकार का इस नियम को लागू करने का मकसद यह है कि जब भी कोई जोड़ा माता-पिता बने चाहे वे नेचुरल हो या एडॉप्शन दोनों में कोई अंतर या फेदभाव जैसी कोई परिस्तिथि न हो, क्योंकि माता-पिता बनने का शुख सभी के लिए एक समान होता है.  

 क्यों जरूरी है एडॉप्शन लीव -Why is adoption leave important?
जो परिवार या माता-पिता बच्चों को गोद लेने का विकल्प चुनते हैं, उनके लिए कई चीजें चुनौतियों से भरा होता है. दरअसल, नेचुरल माता-पिता के अनुभव से गोद लेने वाले माता पिता के अनुभवों में काफी अंतर आ सकता है. ऐसे में छुट्टियां उन्हें सोचने-समझने का मौका देती है. इससे माता-पिता शुरुआत से बच्चों के साथ थोड़ा सहज हो पाते हैं और बच्चों का भी उनसे लगाव बढ़ता है. ऐसे में घर में आए नए सदस्य के साथ कपल को करीब आने का मौका मिलता है. क्योकि दोनों ही एक दुसरे के लिए अंजान होते है और ज्यादा समय साथ बिताने से दोनों के बीच नजदीकियां बढ़ती है.

साथ ही हमें ये समझना होगा कि माता-पिता को अपने बच्चे को यह दिखाने के लिए भी समय चाहिए कि वे कैसे प्यार करेंगे और उनकी देखभाल करेंगे. कुछ माता-पिता के लिए, ये पहला अनुभव होता है और काफी भावनात्मक हो सकता है. ऐसे में एडॉप्शन लीव माता-पिता द्वारा बच्चे को समझने और उन्हें समझाने का मौका देता है. ऐसे में एडॉप्शन लीव गोद लिय बच्चे और माता-पिता दोनों के लिए जरूरी है.

 

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