Asthma: सांस की नलियों में सूजन आने से वह सिकुड़ जाती है और अस्थमा की समस्या हो जाती है। बच्चों में अस्थमा बहुत संवेदनशील होता है। इससे उनकी दैनिक गतिविधियां प्रभावित होती हैं और उन्हें बार-बार डॉक्टर के पास ले जाना पड़ता है। इससे उनके शरीर पर असर पड़ता है। उम्र बढ़ने के साथ यह और भी खराब हो सकता है।
बच्चों में अस्थमा के लक्षण
सांस लेने में कठिनाई
सीने में भारीपन और जकड़न
खांसी या छींक आना
श्वसन संक्रमण के बाद देरी से ठीक होना
थकने के लिए
बच्चों में अस्थमा का पता कैसे लगाएं?
अस्थमा से बच्चे परेशान न हों और उनका सही इलाज हो, इसलिए माता-पिता को अपने बच्चे पर ध्यान देना चाहिए। उनके लक्षणों को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। अगर बच्चे 5 साल से बड़े हैं तो उनमें अस्थमा की जांच के लिए लंग फंक्शन टेस्ट का इस्तेमाल किया जाता है। इसके अलावा पीक एक्सपिरेटरी फ्लो (पीईएफ) और स्पाइरोमेट्री टेस्ट से भी इसका पता लगाया जा सकता है। अधिकांश स्कूली बच्चों के लिए फ़ैनो परीक्षण किया जाता है।
अस्थमा का इलाज
उम्र के साथ अस्थमा का इलाज भी बदलता रहता है। इनहेलेशन थेरेपी को सबसे अच्छा इलाज माना जाता है। बच्चों और वयस्कों में अस्थमा जल्दी ठीक नहीं हो सकता। हालांकि अगर सही समय पर इसका पता चल जाए तो इस पर काबू जरूर पाया जा सकता है। इसके लिए माता-पिता डॉक्टर की सलाह ले सकते हैं।
नियंत्रित करने के उपाय
1. पहचाने गए कारणों से संपर्क कम करें।
2. बच्चों को तंबाकू से दूर रखें
3. फिजिकल एक्टिविटी।
5. दवा और इलाज को सही ढंग से व्यवस्थित रखने के लिए नियमित जांच करवाएं।
6. सीने में जलन और एसिड रिफ्लक्स पर नियंत्रण रखें।