Problem Of Asthama: आज कल की भाग-दौर भरी जिंदगी में हमारे पास खुद के लिए इतना समय ही कहा होता है. अगर कोई स्वास्थ बिमारी के लक्षण दिखें तो हम सीधा डॉक्टर के पास चले जाते है, और दवाईयां लेने शुरू कर देते है. लेकिन हमें कब उन दबाईयों कि आदत पड़ जाती है ये हमें पता भी नहीं चलता. आज कल पॉल्यूशन के कारण अधिकतर लोगों में सांस की परेशानी देखी जा रही है, ऐसे में कई लोगों को पम्प का सहारा भी लेना पड़ रहा है. लेकिन यह हमारे स्वास्थ के लिए हानिकारक साबित हो सकता है.
किसी भी मौसम में पुराना रेशा, जुकाम, खांसी, सांस की एलर्जी, दमा, अस्थमा के मरीजों को ज्यादा मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। दमा-अस्थमा किसी भी आयु के इन्सान को हो सकता है। स्त्री, पुरुष बुजुर्ग हों या बच्चे। WHO के अनुसार पूरी दुनिया में 339 मिलियन ज्यादा लोग इस रोग से पीड़ित हैं।
जानें क्या है दमा अस्थमा?
दमा फेफड़े की श्वास नली से जुड़ी बीमारी है, जिसमें श्वसन नली में सोजिश आ जाती है और श्वसन नली सिकुड़ जाती है। इस बीमारी से पीड़ित व्यक्ति सांस लेने में दिक्कत आती है।
लक्षण
बार-बार खांसी आना, सांस लेते वक्त सीटी की आवाज निकलना, छाती में जकड़न व भारीपन, सांस फूलना, खांसी लेते वक्त परेशानी होना, रेशा बाहर न निकलना, गले का सूखना और बेचैनी होना।
परहेज
मरीज को बारिश, सर्दी, धूल मिट्टी की जगह से बचना चाहिए। ज्यादा ठंडे और गर्म वातावरण में नहीं रहना चाहिए। घर से बाहर जाते वक्त मास्क का प्रयोग करना चाहिए।
अपनाएं यह घरेलू उपाय
गेहूँ, पुराना चावल, मूँग, कुल्थी, जौ, पटोल का सेवन करें।
अस्थमा के मरीजों को आहार में हरी पत्तेदार सब्जियों का सेवन करना चाहिए। पालक और गाजर का रस अस्थमा में काफी फायदेमंद होता है।
आहार में लहसुन, अदरक, हल्दी और काली मिर्च को जरूर शामिल करें, यह अस्थमा से लड़ने में मदद करते हैं।
गुनगुने पानी का सेवन करने से अस्थमा के इलाज में मदद मिलती है।
शहद का सेवन करें।